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यशवंत वर्मा के पुराने फैसलों की समीक्षा कराए सुप्रीम कोर्ट- शाहनवाज़ आलम* *यशवंत वर्मा को जज नियुक्त करने वाले कॉलेजीयम के सदस्यों से भी हो पूछताछ*


नई दिल्ली, 23 मार्च 2025. सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर मिले करोड़ों रुपये की जांच करानी चाहिए. उनके पुराने फैसलों की भी समीक्षा की जानी चाहिए क्योंकि उनके अधिकतर फैसले सरकार को मदद करने वाले रहे हैं. ये बातें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 187 वीं कड़ी में कहीं.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि दो दिनों तक न्यायपालिका का एक हिस्सा और सरकार समर्थक मीडिया पूरे मामले को ही अफवाह बताकर खारिज करने की कोशिश करती रही. लेकिन जनता के दबाव में सुप्रीम कोर्ट को यशवंत वर्मा के घर से मिले नोटों के बण्डल का वीडियो और रिपोर्ट सार्वजनिक करनी पड़ी.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि जब यशवंत वर्मा ख़ुद 13 सौ करोड़ रुपये के चीनी मिल भ्रष्टाचार के आरोपी नम्बर 10 थे तो कॉलेजीयम ने उन्हें हाईकोर्ट का जज कैसे नियुक्त कर दिया? उन्होंने कहा कि यशवंत वर्मा को जज नियुक्त वाले कॉलेजीयम के सदस्यों से भी पूछताछ की जानी चाहिए कि उन्होंने इनके अंदर कौन सी प्रतिभा देखकर जज बना दिया था.

उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि चीनी मिल भ्रष्टाचार की हो रही सीबीआई जांच पर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक क्यों लगा दी? अगर इसकी जांच नहीं होती है तो जनता में यही संदेश जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट ने हज़ारों करोड़ रुपये के चीनी मिल भ्रष्टाचार में शामिल अन्य बड़ी मछलियों को बचाने के लिए जांच को रोक दिया था.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यशवंत वर्मा के इलाहाबाद हाईकोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में दिए गए फैसलों की भी समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को आंतरिक कमेटी बनानी चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण जांच तो इसकी होनी चाहिए कि उन्होंने चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी के खातों को सीज करने के खिलाफ़ दायर याचिका को किसके इशारे पर खारिज किया था.

द्वारा जारी
शाहनवाज़ आलम
सचिव
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी

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