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यूपी सरकार की बेशर्मी

वाराणसी,यूपी : यूपी की भाजपा सरकार में दलितों के साथ भेदभाव, छुआछूत एवं जाति आधारित अन्याय एवं अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह बेहद ही शर्मनाक है।

इस जातिवाद पर भी दलित वर्ग के नेताओं ने चुप्पी साध रखी है,फिर आप लोगों के विधायक/सांसद बनने से दलित वर्ग का क्या फायदा है? शर्म आनी चाहिए, दलित वर्ग के तमाम नेताओं को।

अनुसूचित जाति वर्ग के शिवम सोनकर बीएचयू के उप-कुलपति आवास के बाहर धरने पर बैठे हैं। वह धरने पर तब तक बैठे रहेंगे,जब तक उन्हें पीएचडी में प्रवेश मिल जाये।

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में अनुसूचित जाति वर्ग के शिवम सोनकर ने पीस रिसर्च विषय की OPEN CATEGORY की मेरिट लिस्ट में द्वितीय स्थान प्राप्त किया,फिर भी उन्हें दलित होने के कारण प्रवेश से वंचित रखा गया।

पीस रिसर्च विभाग में पीएचडी के लिए सीटें खाली हैं,इसके बाबजूद OPEN CATEGORY की मेरिट में द्वितीय रैंक प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के शिवम सोनकर को प्रवेश क्यों नहीं दिया जा है?

विभाग के अध्यक्ष ने इसके बाबजूद शिवम सोनकर पीएचडी में प्रवेश क्यों नहीं दिया?

यहाँ तक कि विभाग के एक प्रोफेसर ने अनुसूचित जाति वर्ग के शिवम सोनकर के साथ जातीय भेदभाव एवं छुआछूत की और उन्हें जातिसूचक शब्दों के साथ भी अपमानित किया।

अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र शिवम सोनकर का आरोप है कि विभाग के एक प्रोफेसर ने उनके साथ जातिगत भेदभाव किया और अपमानजनक बातें कहीं।

''प्रोफेसर ने मुझे दलित कहकर अपमानित किया गया और कहा गया कि तुम लोग सिर्फ जूते-चप्पल पॉलिश करने के लायक हो,तुम्हें पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।"

अनुसूचित जाति वर्ग के शिवम सोनकर कह रहे हैं कि बीएचयू के पीस रिसर्च विभाग को यह बर्दाश्त नहीं हो रहा कि एक दलित वर्ग का छात्र पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में द्वितीय रैंक कैसे ला सकता है और वह भी OPEN CATEGORY में.

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