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**101 कन्याओं का सामूहिक विवाह: परंपरा और संस्कृति का संगम**

**101 कन्याओं का सामूहिक विवाह: परंपरा और संस्कृति का संगम**

**कुंडा, प्रतापगढ़।** भारतीय संस्कृति में विवाह न केवल दो व्यक्तियों का मिलन है, बल्कि यह सामाजिक एकता, परंपरा और समुदाय के सहयोग का प्रतीक भी है। इसी भावना को साकार करते हुए कुंडा में सोमवार, 24 मार्च को 101 कन्याओं का सामूहिक विवाह समारोह आयोजित होने जा रहा है। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व कैबिनेट मंत्री और कुंडा विधायक कुंवर रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया के नेतृत्व में यह आयोजन परंपराओं को जोड़ते हुए एक नया इतिहास रचने को तैयार है।

योगीराज देवरहवा बाबा चैरिटेबल एवं वेलफेयर ट्रस्ट और राजा भइया यूथ ब्रिगेड के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले इस समारोह में 101 बारातें टीपी कॉलेज से एक साथ रवाना होंगी। बजरंग डिग्री कॉलेज में मंडप सजाए गए हैं, जहां वैदिक मंत्रोच्चार के बीच द्वारचार और फेरों की रस्में निभाई जाएंगी। कॉलेज परिसर को फूलों और रंगोली से सजाया गया है, जो पारंपरिक विवाह की भव्यता को दर्शाता है। वर पक्ष के लिए टीपी इंटर कॉलेज और कन्या पक्ष के लिए रानी गिरजा देवी इंटर कॉलेज में ठहरने की व्यवस्था की गई है, ताकि दोनों पक्षों को आतिथ्य का पूरा सम्मान मिले। भोजन के लिए चार सेक्टर बनाए गए हैं, जहां मेहमानों को पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेने का अवसर मिलेगा।

सामूहिक विवाह की परंपरा में वर-वधु को उपहार देना एक महत्वपूर्ण रिवाज है। इसके लिए अलग से पंडाल तैयार किया गया है, जहां नवदंपतियों को जीवन शुरू करने के लिए उपयोगी सामग्री भेंट की जाएगी। यह कदम न केवल उनकी नई शुरुआत को आसान बनाएगा, बल्कि सामुदायिक सहयोग की भावना को भी मजबूत करेगा।

इस आयोजन में राजा भइया के साथ पूर्व सांसद व वर्तमान एमएलसी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह गोपाल जी, बाबागंज विधायक विनोद सरोज, राष्ट्रीय महासचिव डॉ. कैलाश नाथ ओझा और जिला पंचायत अध्यक्ष माधुरी कुलदीप पटेल मुख्य द्वार पर दूल्हों का स्वागत करेंगे। यह स्वागत परंपरागत तरीके से होगा, जिसमें फूलों की मालाएं और शुभकामनाएं नवविवाहित जोड़ों के जीवन में खुशहाली का संदेश लेकर आएंगी।

इस सामूहिक विवाह की तैयारियां पिछले एक महीने से चल रही हैं। राजा भइया यूथ ब्रिगेड के सचिव हरि ओम शंकर श्रीवास्तव और जिलाध्यक्ष इंद्रदेव पटेल के नेतृत्व में कार्यकर्ता दिन-रात परंपराओं को संजोते हुए व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर रहे हैं। यह आयोजन न केवल 101 जोड़ों को एक सूत्र में बांधेगा, बल्कि समाज में एकता और सौहार्द की मिसाल भी कायम करेगा।

सामूहिक विवाह की यह परंपरा कुंडा में एक बार फिर साबित करेगी कि संस्कृति और सामाजिकता का मेल ही समाज को मजबूत बनाता है।

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