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परिषदीय विद्यालय परसाजरही में मनाया गया वार्षिक उत्सव।

परिषदीय विद्यालय परसाजरही में मनाया गया वार्षिक उत्सव।

कोंन - विकासखंड कौन के कंपोजिट विद्यालय परसाजरी मैं बहुत ही धूमधाम से वार्षिक उत्सव शुभ अवसर पर विद्यालय के प्रांगण में उपस्थित सभी छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक गण गांव से आए हुए अतिथि गण राष्ट्रगान गया गया इसके पश्चात विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभारी, श्री नीरज कुमार ने विद्यालय पर वार्षिक उत्सव के शुभ अवसर पर प्रकाश डालें वहीं उपस्थित शिक्षक,श्री विनय कुमार ,श्री ललित कुमार ,श्री अरविंद कुमार उपस्थित थे,श्री रकीब अली अंसारी, एवं विद्यालय में सभी छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रम, एवं मिष्ठान भोजन-पानी किया गया।
(श्री रकीब अली अंसारी द्वारा मानव जीवन में कला का शब्द प्रस्तुत किया गया)
भारतीय कला का परिचय (Introduction to Indian Art):
मानव जीवन में कला का महत्वपूर्ण स्थान है। 'कला' शब्द संस्कृत की कल धातु में कच तथा ताप (कल + कच + टैप) से बनता है। संस्कृत कोश में यह शब्द विभिन्न अर्थों में निहित है जैसे- किसी वस्तु का खोल, खंड, चन्द्रमा की एक रेखा, शोभा, अलंकरण, राष्ट्रीय या मेधाविता आदि। पूर्वी इतिहास और संस्कृति में 'कला' से सागर सौन्दर्य, सुंदरता या आनंद से है। अपने मनोगत भावों को सौन्दर्य के साथ दृश्य रूप में व्यक्त करना ही कला है।

आचार्य क्षेमराज के अनुसार 'अपने (स्व) किसी न किसी वस्तु के माध्यम से अभिव्यक्ति करना ही कला है और यह अभिव्यक्ति चित्र, नृत्य, मूर्ति, वाद्य आदि के माध्यम से होती है।' इस प्रकार कला मनुष्य की सौन्दर्य भावना को मूर्तिरूप प्रदान करती है। वस्तुत: कला का उद्गम सौन्दर्य की सार्वभौमिक प्रेरणा का ही परिणाम है।

प्रत्येक फिल्म प्रक्रिया का उद्देश्य सौन्दर्य और आनंद की अभिव्यक्ति होती है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इस रूप में वह अपनी भावनाओं और विचारों का प्रत्यक्षीकरण करता है। यह प्रत्यक्षीकरण या प्रकटीकरण कला के माध्यम से ही संभव है।

प्राचीन भारत में कला को साहित्य और संगीत के समकक्ष मनुष्य के लिए बताया जाना आवश्यक है। भर्तृहरि ने अपने नीतिशतक में स्पष्टत: लिखा है कि साहित्य, संगीत तथा कला से हीन मनुष्य पूँछ तथा औषधीय से साक्षात् पशु के समान है-

साहित्यसंगीतकला विसाण:

साक्षात्पशु पुच्छविषाणहीन:।

भारतीय परंपरा में कला को लोकरंजन का समानार्थी निरूपित किया गया है। इसका एक अर्थ है व्यावसायिक या मेधाविता, अंत: किसी कार्य को सम्यक् रूप से सम्पन करने की प्रक्रिया को भी कला कहा जा सकता है। जिस कौशल द्वारा किसी वस्तु में मूल्यांकन और सुंदरता का संचार हो जाए, वही कला है। भारतीय कला का इतिहास अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है। वस्तुत: यह कला यहाँ के निवासियों के विचारों को समझने का एक सबल माध्यम है। कला शिक्षक
(रकीब अलीअंसारी.
सोनभद्र)

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