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जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के डॉ महेंद्र मीना राष्ट्रीय युवा पुरस्कार 2025 के लिए चयनित

जयपुर, जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ महेंद्र मीना को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार 2025 के लिए चुना गया है। उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार नई दिल्ली स्थित नवनिर्मित भारतीय संसद भवन में भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा संसद 2025 समारोह में प्रदान किया जाएगा !
कृषि क्षेत्र में पहली बार किसी युवा वैज्ञानिक को यह सम्मान
यह पहली बार है जब किसी युवा कृषि वैज्ञानिक को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के तहत ₹1 लाख नकद, राष्ट्रीय युवा पुरस्कार से अंकित गोल्ड मेडल, प्रमाण पत्र एवं शॉल प्रदान किए जाएंगे।
जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा
“यह पुरस्कार न केवल विश्वविद्यालय, बल्कि पूरे कृषि जगत के लिए गर्व की बात है। यह नैनो तकनीक किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी और जैविक खेती को बढ़ावा देगी।”
डॉ. महेंद्र मीना की नैनो तकनीक किसानों के लिए क्रांतिकारी
जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एन. के. गुप्ता के अनुसार, डॉ. महेंद्र मीना अब तक चार नैनो तकनीकों का आविष्कार कर चुके हैं। इनमें शामिल हैं:
1. ₹1 में 21 दिनों तक बिना कोल्ड स्टोरेज के फल-सब्जियों का संरक्षण।
2. जैविक नाइट्रोजन युक्त नैनो फॉर्मूलेशन, जो कम लागत में अधिक उत्पादन सुनिश्चित करता है और हर साल 70,000 टन रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम कर सकता है।

भारत सरकार ने 20 वर्षों के लिए व्यवसायीकरण की स्वीकृति दी
जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. बलराज सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने इस जैविक नैनो तकनीक को 20 वर्षों के लिए व्यवसायीकरण की स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस तकनीक से:
• रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी आएगी।
• अमीनो अम्ल युक्त स्वास्थ्यवर्धक फल-सब्जियाँ उपलब्ध होंगी।
• देशभर में किसानों को अधिक उत्पादन और लाभ मिलेगा।
किसानों के लिए जैविक नैनो तकनीक का विकास।
जोबनेर कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ एम आर चौधरी के अनुसार, यह नैनो फॉर्मूलेशन अमीनो अम्ल और लिग्निन से मिलकर बना है। इसे बीज उपचार और छिड़काव के माध्यम से फसलों पर उपयोग किया जाता है। जैविक नाइट्रोजन की अधिकता के कारण पौधों की वृद्धि तेज होती है और प्रकाश संश्लेषण बढ़ने से क्लोरोफिल की मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे उत्पादन बढ़ता है। इस नैनो फॉर्मूलेशन में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, जिससे फसलें कई प्रकार की बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं। यह तकनीक बायोडिग्रेडेबल है और पर्यावरण के लिए पूरी तरह अनुकूल है।
डॉ. महेंद्र मीना का बयान
अपनी इस उपलब्धि पर डॉ. महेंद्र मीना ने कहा
“यह पुरस्कार मेरे माता-पिता, जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय और मेरे सभी सहयोगियों के समर्थन का परिणाम है। मेरा लक्ष्य भारतीय कृषि क्षेत्र में नवाचार लाकर किसानों की मदद करना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।”

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