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छत्रपती संभाजी महाराज (छावा).....

छत्रपति संभाजी महाराज समाधि - तुलापुर (जन्म - 14 मई 1657 - मृत्यु - 11 मार्च 1689)
वीर छत्रपति संभाजी महाराज, जिनके सामने मृत्यु भी झुकती थी, साष्टांग प्रणाम करती थी, की समाधि 'तुलापुर' में है। इस स्थान पर भीमा, भामा और इंद्रायणी तीन नदियों का संगम होता है। शिवपुत्र धर्मवीर संभाजी महाराज और उनके मित्र कवि कलश की इसी स्थान पर औरंगजेब ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। वह काला दिन था '11 मार्च, 1689'। औरंगजेब ने शंभूराजा को बेरहमी से यातनाएं देकर मार डाला और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके नदी में फेंक दिया। बाद में इस स्थान पर संभाजी महाराज का समाधि स्थल बनाया गया।
हर मराठी व्यक्ति का कालिज यहां आता है, यहां के इतिहास को दोहराता है और आगे बढ़ता है। जैसे ही आँखों के कोने नम होते हैं, अभिमान भर जाता है। ये सारी भावनाएँ हमारे वीर, पराक्रमी प्रिय शम्भुराजा के लिए हैं.... शम्भुराजा ने इसी भूमि पर अपने प्राणों की आहुति दी। यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया। अत: इस भूमि का अद्वितीय ऐतिहासिक महत्व है। औरंगजेब ने इन संभाजी महाराज को कैद कर लिया था और उन्हें इस स्थान पर लाया था।

यहीं पर उन्हें बेरहमी से प्रताड़ित किया गया और मार डाला गया। इन सभी घटनाओं की साक्षी तुलापुर की धरती है। 11 मार्च 1689 को फाल्गुन अमावस्या के दिन, भीमा और इंद्रायणी नदियों के संगम पर तुलापुर में संभाजी महाराजा का सिर काटकर हत्या कर दी गई। जब औरंगजेब ने संभाजी महाराज के शरीर को टुकड़े-टुकड़े करके नदी के किनारे फेंक दिया, तो बाद में ग्रामीणों ने अपने राजा के अंगों को एकत्र किया और उनका उचित दाह संस्कार किया। इस प्रकार हमारे राजा की वीरता की जीवनगाथा ने इस तुलापुरी को शान्त कर दिया है। महज 32 साल का यह प्रचंड तूफान आखिरकार औरंगजेब की क्रूरता से शांत हो गया था. औरंगजेब को उनकी शिक्षा के लिए सलाम
छत्रपति शिवाजी महाराज की जय 🙏🙏🙏🙏🙏
छत्रपति संभाजी महाराज की जय 🙏🙏🙏🙏🙏

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