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सोशल मीडिया पर अश्लील और भ्रामक वीडियो: विश्वविद्यालय की गरिमा को खतर

सोशल मीडिया आज के दौर में संवाद का सबसे प्रभावशाली माध्यम बन चुका है। यह न केवल सूचना के आदान-प्रदान का एक सरल जरिया है, बल्कि लोगों के विचारों, भावनाओं और गतिविधियों को साझा करने का एक प्रमुख मंच भी बन गया है। हालांकि, डिजिटल क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में, कुछ भ्रामक और अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे हैं, जो न केवल संबंधित विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचा रहे हैं बल्कि उसके गरिमामय वातावरण को भी दूषित करने का प्रयास कर रहे हैं।

#### **विश्वविद्यालय की छवि पर असर**
विश्वविद्यालय किसी भी समाज का बौद्धिक केंद्र होता है, जहाँ ज्ञान, संस्कृति और नैतिकता के उच्चतम स्तर को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। यह वह स्थान होता है जहाँ युवा पीढ़ी न केवल शिक्षा प्राप्त करती है बल्कि अपने चरित्र और विचारों को भी संवारती है। ऐसे में, सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय से जुड़े अश्लील और भ्रामक वीडियो वायरल होना अत्यंत गंभीर मुद्दा बन जाता है।

इन वीडियो में न केवल अनुचित सामग्री होती है बल्कि यह भी देखा गया है कि उनमें शामिल लोगों के चेहरे बिना छुपाए दिखाए जा रहे हैं, जिससे उनकी निजता (Privacy) का हनन हो रहा है। यह केवल व्यक्तिगत रूप से प्रभावित लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्वविद्यालय समुदाय के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। इससे न केवल विश्वविद्यालय की छवि धूमिल होती है, बल्कि छात्रों और अभिभावकों के मन में संस्थान की सुरक्षा और नैतिक मूल्यों को लेकर भी संदेह पैदा होता है।

#### **प्रशासन और प्राधिकरण की भूमिका**
इस तरह के मामलों में विश्वविद्यालय प्रशासन और कानूनी संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। सोशल मीडिया पर इस तरह की अनुचित सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए।

1. **तत्काल कार्रवाई:** सबसे पहले, इन वीडियो को प्रसारित करने वाले व्यक्तियों की पहचान कर उन पर उचित कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
2. **सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से संपर्क:** प्रशासन को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के अधिकारियों से संपर्क कर इन वीडियो को तुरंत हटाने और उनके स्रोतों का पता लगाने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए।
3. **साइबर सेल की निगरानी:** इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए साइबर सेल और टेक्नोलॉजी आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम को सक्रिय किया जाना चाहिए।
4. **छात्रों में जागरूकता:** विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के बीच जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि वे सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग करें और किसी भी प्रकार की गलत जानकारी या अनुचित सामग्री का समर्थन न करें।

#### **नैतिकता और सामाजिक जिम्मेदारी**
हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने शिक्षण संस्थानों की मर्यादा को बनाए रखें। सोशल मीडिया का उपयोग करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जो भी सामग्री हम साझा कर रहे हैं, वह किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान न पहुँचाए और समाज में गलत संदेश न फैलाए।

#### **निष्कर्ष**
अश्लील और भ्रामक वीडियो का प्रसार न केवल विश्वविद्यालय बल्कि समाज के संपूर्ण नैतिक ताने-बाने को कमजोर करने का प्रयास है। इसे रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने चाहिए और छात्रों को भी अपने डिजिटल व्यवहार के प्रति जागरूक होना चाहिए। विश्वविद्यालय की गरिमा को बनाए रखना केवल प्रशासन की ही नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी भी है। हमें मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षा के मंदिरों की पवित्रता बनी रहे और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग सकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाए।

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