
अब परिवार में कोई भी अप्रिय घटना हुई तो मेरे पिता होंगे जिम्मेदार
मेरे पिता श्री चन्द्रशील द्विवेदी एक अत्यंत गैरजिम्मेदार व लापरवाह प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। इन्होंने दो विवाह किए हैं। प्रथम विवाह श्रीमती रेखा सारस्वत निवासिनी कल्याणी देवी प्रयागराज व द्वितीय विवाह श्रीमती रेखा शुक्ला निवासिनी उरई, जालौन से किया है।
इनका प्रथम विवाह प्रेम विवाह था, जिससे 8 संतानें हुईं। जिनके नाम सत्यम, शिवम, प्रियम, सक्षम, दक्षम व रक्षम हैं। दो बहनें भूमिका व समीक्षा हैं। द्वितीय पत्नी श्रीमती रेखा शुक्ला से एक पुत्री मेखला द्विवेदी है।
पिता जी के दो विवाह करने एवं लापरवाह व गैरजिम्मेदार रवैये के चलते घर में सदैव विवाद रहता था।
इसी कारण सबसे बड़े भाई सत्यम की कुपोषण से मृत्यु हो गई। घर के सदस्यों ने कई बार आत्महत्या के प्रयास भी किए। जब तक हमारे बाबा डॉ. रामशंकर द्विवेदी जीवित थे उनके कारण सभी संतानों का किसी तरह से पालन पोषण हो सका।
हमारा सबसे छोटा भाई रक्षम घर के इसी विषाक्त वातावरण के चलते घर छोड़कर चला गया और आज तक लापता है। जिसका विवरण सीबीआई की रिपोर्ट में है।
वर्तमान में पिता जी ने मुझे व छोटे भाई दक्षम को घर से निकाल दिया है। सबसे बड़े भाई अधिवक्ता शिवम द्विवेदी घर के विषाक्त व असुरक्षित परिवेश के कारण सपरिवार किराए में रहने को मजबूर हैं।
पिता जी ने हमारे जन्मस्थान 20 नया कटरा दिलकुशा पार्क का पूरा नियंत्रण मध्यप्रदेश में लेक्चरर प्रियम द्विवेदी को दे दिया है। प्रियम व उनके ससुराल का ही वर्तमान में पूरे घर में नियंत्रण है।
मैं व छोटा भाई दक्षम निजी क्षेत्र में कार्य कर किसी प्रकार जीवन निर्वहन कर रहे हैं।
पिता जी अपनी पत्नी व पुत्रों की जिम्मेदारी से अनवरत पल्ला झाड़ते आए हैं। इसकी शिकायत पूर्व में भी की गई। हर बार कहते हैं कि मैं सब सही कर दूंगा परंतु फिर वे गायब हो जाते हैं।
मेरे पिता जी के पास नया कटरा प्रयागराज, तुलसी नगर उरई, नौकुचियाताल, नैनीताल में अपनी अचल संपत्ति है। पैतृक खेती का सारा धन व अनाज पिता जी स्वयं लेते हैं।
पिता जी के पुत्रों के पास किसी भी तरह की अचल संपत्ति नहीं है। वह तनाव व अवसाद में रहते हैं। मैं स्वयं डिप्रेशन से पीड़ित हूँ व मेरी औषधि चल रही है।
पिता जी के दो भाई अर्थात मेरे चाचा श्री इन्द्रशील द्विवेदी व श्री विनयशील द्विवेदी स्टेनली रोड प्रयागराज में सपरिवार सुखपूर्वक रहते हैं। उन्हें इन सभी घटनाओं व पिता जी स्वभाव की पूर्ण जानकारी है।
पिता जी अगर अपनी दोनों पत्नियों व संतानों के प्रति सद्भावना रखते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना हो सकती है। जिसके पूरे जिम्मेदार मेरे पिता श्री चन्द्रशील द्विवेदी होंगे।
विवेकानंद राय
आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन