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क्या फिर मंदिरों के कपाट होंगे बंद और भक्त दर्शनों से वंचित


 कोरोना संक्रमितों की संख्या कोविड का टीका विकसित हो जाने और लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद भी जिस प्रकार से बढ़ रही है उससे कल क्या होगा यह तो विश्वास से नहीं कहा जा सकता लेकिन पूर्व वर्ष में मार्च माह में लगे लाॅकडाउन के बाद जो स्थिति हुई थी उसने आम आदमी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। वो बात और है कि कुछ ना समझ लोग इसको लेकर गंभीर ना हो मगर ज्यादातर नागरिक गंभीर भी हैं और परेशान भी। क्योंकि जो परिस्थितियां उस दौरान उत्पन्न हुई थी धीरे धीरे वैसा ही माहौल बनता जा रहा है। वो बात दूसरी है कि अब वैक्सीन आ जाने तथा असरदार होने से जिंदगी की रफतार अभी रूकनी शुरू नहीं हुई है। कुछ उपस्थितों की संख्या में कमी कर समारोह आयोजित करने धार्मिक स्थलों पर पूजा करने और नई नई ट्रेन चलाने की खबरें खूब मिल रही है। लेकिन जिस प्रकार से प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मंदिरों में घंटियों पर कपड़े बांध दिए गए हैं और पुजारियों को छुटटी पर भेज दिया गया है उससे एक संभावना लगने लगी है कि जल्द ही अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जिस प्रकार स्कूलों को लेकर शासन प्रशासन और पुलिस के अधिकारी निर्णय ले रहे हैं उसी प्रकार कहीं मंदिरों में पुनः ताले डलवाने और भक्तों के प्रवेश प्रतिबंधित ना कर दे। क्योंकि लखनऊ के साथ ही राजस्थान के बडवानी में स्थित मंदिर में भी  ऐसे ही कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। 
एक खबर के अनुसार उत्तर प्रदेश में बीते दिनों में कोरोना संक्रमण के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. राजधानी लखनऊ में ही गुरुवार को 3,900 सक्रिय मामले थे। कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए सरकार ने राजधानी के सभी मंदिरों में घंटी बजाने पर रोक लगा दी है। भक्तों को घंटियों को छूने से रोकने के लिए अधिकांश मंदिरों में घंटियों पर कपड़े बांध दिए गए हैं।  राजधानी के सभी मंदिरों में कोरोना प्रोटोकाॅल को लेकर भी सख्ती बरती जा रही है. शहर में स्थित प्रसिद्ध हनुमान सेतु मंदिर में भक्तों के गर्भगृह में प्रवेश करने पर भी रोक लगा दी गई है। साथ ही उन लोगों को ही भगवान के सामने प्रसाद चढ़ाने दिया जा रहा है, जो मास्क लगाए हुए हैं. कोरोना के बढ़ते खतरे को देखते हुए मंदिर के अधिकांश पुजारियों को भी छुट्टी पर घर भेज दिया गया है. इसी तरह शहर के मनकामेश्वर मंदिर में घंटी बजाने पर रोक लगाने के साथ-साथ 10 साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गो के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है।
बता दें कि गुरुवार रात तक लखनऊ में कोरोनावायरस के 935 नए मामले सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस घातक वायरस के प्रसार की जांच के लिए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। एक और चिंताजनक बात यह है कि बीते 4 महीनों में पहली बार शहर में सक्रिय मामलों की संख्या 3,900 को पार पार कर गई। वहीं अन्य जिलों में दर्ज हुए नए मामलों की संख्या 2,600 रही।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि जनवरी के बाद लोगों द्वारा सार्वजनिक व्यवहार के दौरान नियमों के पालन में बरती गई ढिलाई और अगस्त-सितंबर के पीक महीनों के दौरान विकसित हुई हर्ड इम्युनिटी में गिरावट इसके लिए जिम्मेदार है। स्थिति को देखते हुए लखनऊ जिला प्रशासन ने कोविड नियमों का उल्लंघन करने पर महामारी अधिनियम के तहत एक प्रमुख माॅल को सील कर दिया है। साथ ही गोमती नगर क्षेत्र के फन रिपब्लिक माॅल को नियमों का उल्लंघन करने के लिए नोटिस जारी किया है। साथ ही प्रशासन ने लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी भी दी है। जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक प्रकाश ने कहा है कि सुरक्षा प्रोटोकाॅल का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बीच बीते गुरुवार को 13 न्यायिक अधिकारियों के कोरोना पाॅजिटिव पाए जाने के बाद लखनऊ में जिला अदालत और अन्य सभी अदालतों को 3 दिनों के लिए बंद कर दिया है। साथ ही राज्य के सभी शिक्षण संस्थानों को आॅनलाइन मोड में कक्षाएं संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्व धार्मिक नगरी हरिद्वार कुंभ में अभी किसी तरह का प्रतिबंध तो नहीं लगाया गया है कि लेकिन वहां जाने के लिए कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट मांगी जा रही है जिससे देशभर से यहां आने वाले श्रद्धालुओं और साधु संतों में टीका लगवाने का सिलसिला तेज हो गया है। वैसे तो इतने बड़े देश में सिर्फ दो जगह ही मंदिरों की ही खबर घंटियों पर कपड़ा लपेटने की सुनने को मिल रही है मगर क्योंकि एक सिलसिला शुरू हो चुका है तो भविष्य को ध्यान में रखकर सोचना जरूरी है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए अगर हम चाहते हैं कि हमें धार्मिक स्थलों में अपने मजहब के अनुसार पूजा पाठ करने का मौका प्राप्त हो और पूर्व में लगे लाॅकडाउन की तरह घर में बंधकर ना बैठना पड़े तो दोस्तो लाॅकडाउन के नियमों का पालन खुद भी करिए और पड़ोसियों से भी कराईये और ऐसा प्रयास कर रहे लोगों का सहयोग भी कीजिए।

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