योग साधन आश्रम होशियापुर के संस्थापक ब्रह्मलीन योगाचार्य सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज का दो दिवसीय 104 वा जन्म उत्सव
होशियारपुर। योग साधन आश्रम होशियापुर के संस्थापक ब्रह्मलीन योगाचार्य सदगुरुदेव चमन लाल जी महाराज का दो दिवसीय 104 वा जन्म उत्सव श्रद्धा पूर्वक मनाया जा रहा है।
सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन करते देश-विदेश में भक्तों ने वर्चुअल कार्यक्रम के द्वारा गुरु महाराज को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पहले दिन भक्तों का मार्गदर्शन करते हुए आश्रम के वर्तमान संचालक आचार्य चंद्रमोहन अरोड़ा जी ने कहां की सद्गुरु का महत्व शरीर में प्राणों के समान है। जैसे प्राणों के बिना शरीर सजीव नहीं होता उसी तरह सद्गुरु के बिना भी जीवन का कोई महत्व नहीं। आध्यात्मिक जीवन में सद्गुरु मार्गदर्शन करते हैं तभी लक्ष्य की प्राप्ति होती है। सद्गुरु देव जी ने संसार में अवतरित होकर योग का प्रचार किया और ऋषि मुनियों की इस विद्या को जन जन तक पहुंचाने के लिए सारा जीवन बिता दिया। उन्होंने कहा कि गुरु का मिलना ही काफी नहीं है। सदगुरुदेव कहा करते थे कि हमें अपनी आत्मा का उद्धार कर उसे मोक्ष तक ले जाना है अन्यथा यह संसार में भटकती रहेगी तथा जिस काम के लिए प्रभु ने हमें संसार में भेजा है वह नहीं हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सबसे पहले हमें शरीर को संभालना है, क्योंकि शरीर धर्म के लक्ष्य तक पहुंचने का एक मार्ग है जो लक्ष्य की पूर्ति का साधन है | हमें प्रतिदिन कम से कम एक घंटा योग जरूर करना चाहिए ताकि हमारा शरीर निरोग रहे | हम नेति ,बमन ,प्राणायाम, कपालभाति करके अपने जीवन को निरोग रख सकते हैं | उन्होंने कहा कि जब तक हमारा मन स्थिर नहीं होगा तब तक हम अपने लक्ष्य की तरफ नहीं बढ़ सकेंगे | हमें संसार की वस्तुओं पर अंकुश लगाना है| वैराग्य संसार से विरक्त करता है | हम अपने अभिमान के लिए आगे बढ़ते हैं | कुछ लोग तो आश्रम में भी अभिमान के तहत आते हैं| जब उनका लक्ष्य पूरा नहीं होता तो वह आश्रम आना छोड़ देते हैं| उन्होंने कहा कि हमें सांसारिक वस्तुओं से मोह बनाने की बजाय प्रभु के चरणों में स्थिर रहना है | मन को शुद्ध करना है | इसके लिए हमें पांच यमो का पालन करना है | अहिंसा, सत्य ,अस्तेय, ब्रह्मचार्य ,अपरिग्रह का पालन करना है | इसके अलावा मैत्री, करुणा , मुदिता और उपेक्षा के गुणों को धारण करना है | इससे मन निर्मल होगा | उन्होंने कहा कि अगर बुद्धि ज्ञानवान नहीं होगी तो भी हम भटकते रहेंगे | बुद्धि की शुद्धता के लिए हमें स्वाध्याय करना होगा | हम हर रोज आरती के बाद रामायण का पाठ करें इससे बुद्धि शुद्ध होगी | उन्होंने कहा कि सदगुरुदेव हमेशा अपने भक्तों के साथ हैं इसलिए उनकी उपस्थिति का एहसास करते रहना चाहिए| फोटो कैप्शन ब्रह्मलीन योगाचार्य चमन लाल जी महाराज