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टीका भी है सख्ताई भी फिर क्यों बढ़ रही है कोरोना संक्रमितों की संख्या

कोरोना माहमारी और लाॅकडाउन की त्रासदी और उस दौरान उत्पन्न हुई समस्याओं को अभी देशवासी भुला भी नहीं पाए हैं उसके बावजूद आम आदमी में कोरोना का टीका लगवाने के लिए जो दिलचस्पी पैदा होनी चाहिए थी वो होती नजर नही आ रही है क्योंकि कुछ जागरूक नागरिकों के वैक्सीन लगवाने की सूचनाएं पढ़ने और सुनने को मिलती है लेकिन कहीं से भी यह पता नहीं चलता कि सामूहिक रूप से सामान्य दर्जे के रोज कमाने खाने वाले लोगों द्वारा इसमंें कोई दिलचस्पी दिखाई जा रही हो।

कुछ लोगों का कहना है कि कोरोना संक्रमितों की जो एकदम संख्या बढ़नी शुरू हुई उसके पीछे वैक्सीन निर्माताओं और स्वास्थ्य विभाग की मंशा यह तो नहीं है कि लोग बीमारी झेलने के बावजूद इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं और उन्हें आकर्षित करने के लिए संक्रमित मरीजों की संख्या ढूंढ ढूंढकर या बढ़ाकर दिखाई जा रही हो।

लाॅकडाउन हुआ तो 360 मरीज थे
बताते चलें कि वर्ष 2020 22 मार्च को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आग्रह पर लाॅकडाउन के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए एक दिन का जनता कफर्यू लागू किया गया था। उस समय 21 मार्च 2020 को 360 केस सामने आए थे। और वर्तमान में इस दिन 47 हजार मरीज कोरोना से संक्रमित होना सामने आया है। फिर भी लोग बेफिक्र हैं और सरकार भी कोई बहुत बड़ा ऐसा निर्णय नहीं ले रही है जिससे कहीं किसी प्रकार की भविष्य में बड़ी कठिनाई होती नजर आ रही हो।

स्कूलों में छुटटी
फिलहाल अब दवाई भी है सुविधाएं भी। कितना ही बड़ा कोरोना का प्रभाव क्यों ना आ जाए उससे निपटने के लिए अस्पताल भी तैयार बताए जाते हैं और स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तैयारी मे लगा है। देश में कई जगह रात्रि कफर्यू लागू कर दिया गया है और कई जगहों 24 से 31 मार्च तक स्कूल बंद करने की घोषणा सुनाई दे रही है। तो कुछ ऐसा भी पता चल रहा है कि अप्रैल माह में भी अगर कोरोना ने असर कम नहीं किया तो स्कूलों में छुटटी बढ़ाई जा सकती है।

दूसरी खुराक 28 दिन की जगह 56 दिन बाद
यूपी मंें अभी त्यौहार मनाने पर तो कोई रोक नहीं लगाई है लेकिन गाइडलाइन जारी की गई है और उसका पालन करने के निर्देश दिए गए हैं जिनके तहत दूरी बनाना, मास्क लगाना और हाथ धोना अनिवार्य है। दूसरी तरफ खतरनाक कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए देश में टीकाकरण का दौर लगातार जारी है।

इसी क्रम में सोमवार को भारत सरकार ने कोविशील्ड वैक्सीन की खुराक को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत अब दूसरी खुराक 28 दिन की जगह 56 दिन के बाद दी जाएगी। केंद्र  ने यह जानकारी दी है कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और विशेषज्ञों की ताजा समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया कि दोनों खुराक के बीच समय अंतराल 4-6 सप्ताह की जगह 4-8 सप्ताह तक की होनी चाहिए।  बता दें कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह ने कहा है कि यह नियम कोवाक्सिन टीकाकरण के लिए नहीं है। कोवाक्सिन की दोनों खुराक के बीच फिलहाल 4-6 सप्ताह का ही अंतर रहेगा। आपको बता दें कि कोविशील्ड टीका को पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किया जा रहा है। फिलहाल भारत में अभी सबसे अधिक उपयोग इसी वैक्सीन का हो रहा है।  आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक देश में कोरोना वैक्सीन की 3.55 करोड़ पहली डोज दी गई हैं जबकि करीब 75 लाख दूसरी डोज दी जा चुकी हैं।
गरीबों को सामूहिक रूप से लगवाएं टीका
कोरोना की महामारी और लाॅकडाउन की व्यवस्था तथा गाइडलाइन और टीका विकसित होने के बाद भी मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी को ध्यान में रखकर यह सोचने पर तो मजबूर होना पड़ ही रहा है कि आखिर कोरोना संक्रमितों की संख्या को बढ़ावा कैसे मिल रहा है। इस संदर्भ में जब संबंधित खबरें पढ़ी गई और लोगों से हुई बातचीत के अनुसार जो लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं वो तो लगवा ही रहे हैं। लेकिन सरकार को अपने जिलाधिकारियों और स्वास्थ्य विभााग के अफसरों के माध्यम से कोरोना का टीका लगवाने की व्यवस्था उन स्थानों पर की जाए जहां सामूहिक रूप से गरीब और मध्यम दर्जे के लोग प्रतिदिन एकत्रित होते हैं और ना कोरोना के किसी नियम का पालन करते हैं और ना उन्हें किसी की चिंता नजर आती हैं और मुझे लगता कि मरीजों की संख्या में हो रही बढ़ोत्तरी का भी शायद यही कारण है।
मेरा मानना है कि बाजारों, मलिन और गरीब बस्तियों, सब्जी व अनाज मडियों, और जहां अविकसित क्षेत्रों के मजदूर इकटठा होते हैं उन जगहों पर कैंप लगवाकर लोगों को समझाकर टीके लगवाए जाएं तो बढ़ती संख्या तो रूक ही सकती है बीमारी होने की संभावनाएं भी कम होगी।
टीके का कोई बड़ा नुकसान नजर नहीं आता
जहां तक बात टीका लगने के बाद नुकसान की है तो जबसे वैक्सीन आई है जितने लोगों ने टीकाकरण कराया उनमें से जीरो प्रतिशत को भी शायद कोई विपरित ऐसी परेशानी सामने आई है जो नुकसान का कारण बनती हो। यह इस बात का प्रतीक है कि सभी को किसी भी तरीके से टीके लगाए जाएं तो उन्हे कोई हानि बड़े स्तर पर नहीं होगी। थोड़ी बहुत निगरानी रखने में कोई समस्या भी नजर नहीं आती है।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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