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अपनों की सुविधा के लिए अब तो स्वीकार कर लो

समय बदल रहा है। उसके अनुसार क्षेत्र और कार्य चाहे घरेलू हो या व्यावसायिक उसे पूर्ण करने की व्यवस्थाएं परिवर्तित होती रहती है। जो उन्हें जल्दी स्वीकार कर लेते हैं वो समय की मुख्यधारा में शामिल हो जाते हैं और जो ऐसा नहीं कर पातेे वो पिछड़ते तो हैं ही। कई प्रकार के नुकसान भी उन्हें उठाने पड़ते हैं। इस संदर्भ में फिलहाल हम शादी विवाह या अन्य शुभ कारज आदि के निमंत्रण और उसके तरीकों को लेकर चल रही एक चर्चा और सोच को देख सकते हैं।

पूर्व में जब किसी के यहां शादी या कोई और कार्यक्रम होता था तो आयोजक द्वारा रिश्तेदार परिचितों आदि को घर जाकर निमंत्रण दिए जाते थे और कई कई बार आने का आग्रह किया जाता था। उस समय लोगों पर समय होता था और परिवार में सदस्यों की संख्या भी बहुतायत में होती थी, लेकिन पिछले दशक से जब घर में बच्चों की संख्या कम होने लगी दिखावा ज्यादा नजर आने लगा। आमदनी कम और महंगाई बढ़ने लगी तो इस व्यवस्था में थोड़ा सा परिवर्तन होता नजर आया।

हर घर में जाकर निमंत्रण देने से समय पेट्रोल डीजल और धन का जो खर्च होता था उसे बचाने हेतु समयानुसार चलने वाले कुछ जागरूक नागरिकों ने सोशल मीडिया साधनों का उपयोग कर इन दोनों को ही बचाने का उपाय खोजा और मेल तथा व्हाटसऐप पर जिन्हें बुलाना हैं उनको सूचना भेजी जाने लगी। देश की राजधानी दिल्ली में तो यह व्यवस्था काफी समय से चल रही थी। इसके साथ ही कुछ लोग अखबारों में भी विज्ञापन छपवाने लगे थे लेकिन अब जैसे जैसे सोशल मीडिया में नई तकनीकी का समावेश हो रहा है वैसे अब लोग निमंत्रण के साथ वाॅटसऐप मैसेज के अतिरिक्त एक सुंदर मनमोहक वीडियो भेजने लगे हैं और निमंत्रण का यह तरीका काफी अच्छा उपयोगी और बचत वाला भी नजर आता है और ज्यादातर लोग इसे स्वीकार भी करने लगे है।
लाॅकडाउन के बाद शुरू हुए शादी समारोहों व अन्य कार्यों में आना जाना शुरू हुआ तो कई जगह आयोजकों से सुनने को मिला कि फला रिश्तेदार अथवा दोस्तों को सूचना दी थी मगर वह नहीं आए। इसके बाद जब ऐसे मित्र मिले तो चर्चा हुई कि आप फलां व्यक्ति के यहां दिखाई नहीं दिए उसने तो निमंत्रण भेजा था तो उनका जवाब मिला कि वाॅटसऐप और मेल के निमंत्रण के क्या मायने है।

घर पर आकर तो उन्होंने निमंत्रण नहीं दिया इसलिए हम नहीं गए। नई सुविधाओं और माध्यमों को अपनाने से पिछड़ जाने वाले ऐसे लोगों से मेरा आग्रह है कि बहुमूल्य पेट्रोल डीजल धन और समय की बचत के लिए अपनों का सहयोग करने हेतु और किसी निमंत्रण की इच्छा ना कर समय की व्यवस्थाओं को आत्मसात कर सिर्फ सूचना को ही यह समझकर कि जिसने भेजे ही है वह बुलाना चाहता है आना जाना शुरू करना चाहिए। दोस्तों अगर हम समयानुसार नहीं चलेंगे तो एक दिन हम पिछड़ जाएंगे और जब हमारे यहां कुछ ऐसा होगा तो परिस्थिति ऐसी ही हांेगी। बुलाने के बाद भी लोग नहीं आएंगे। इसलिए आओ समयानुसार कम खर्चीली व्यवस्थाओं को निमंत्रण के मामले मेें स्वीकार कर आपस में प्यार और संबंधों को मजबूत करें और अपनों की खुशहाली के लिए उन्हें हर प्रकार का सहयोग देने का मन बनाकर औरों को भी इसके लिए प्रेरित करे क्योंकि समय की मधुरता कायम करने की अब यही सबसे बड़ी मांग है।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com



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