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दबाव और प्रभाव शाली लोगो के उत्पीड़न से रघुवीर ने किया आत्म हत्या
संतकबीरनगर। धन-बल और बाहुबल आखिर "सिस्टम" को कितना प्रभावित कर सकता है इसकी कल्पना भी नही की जा सकती है। न्याय की आस मे जब कोई पीड़ित प्रशासनिक गलियारों मे धक्के खाता है तो आज का सभ्य समाज भी तमाशबीन बना रहता है। जिसका परिणाम हरिहरपुर के शुकलैनिया निवासी रघुवीर गुप्ता की मौत के रूप मे इतना भयानक हो जाता है कि मानवता भी शर्मसार हो उठती है। महुली थाना क्षेत्र के नगर पंचायत हरिहरपुर के शुकलैनिया निवासी रघुवीर गुप्ता उन्नाव जिले मे रेलवे मे गेटमैन के पद पर तैनात था। बेटे को नौकरी मिली तो बूढ़े मां बाप के सपनों को पंख लग गया। बहन की शादी धूमधाम से करने का अरमान भी सिर्फ सपना बन कर रह गया।
रघुवीर गुप्ता के सुसाइड नोट ने हरिहरपुर बाहुबली क्षत्रप पप्पू शाही के कथित दबंगई और स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अमले की कार्यप्रणाली को भी कटघरे मे खड़ा कर दिया। लोगों का कहना है कि बर्षों से ग्रामीणों के अधिपत्य वाली जमीन जब छिनी जाने लगी तो अपने हक और अधिकार के लिए ग्रामीण संघर्ष करने की रणनीति तैयार करने लगे। यह सूचना जब रघुवीर को मिली तो अपनी और पड़ोसियों की जमीन बचाने के लिए कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करने लगा। आरोप है कि पहले तो उसे धमका कर चुप कराने का प्रयास हुआ लेकिन जब युवा जोश उबाल मारने लगा तो बाहबलियों के तिकडमी चालें शुरू हो गई। सुसाइड नोट के अनुसार बीते धनतेरस के दिन जब रघुवीर अपनी ड्यूटी पर था तो उसी दिन उसके खिलाफ स्थानीय थाने मे मुकदमा दर्ज हो गया। न्याय की गुहार लगाता रघुवीर साहबों की चौखट पर धक्के खाता रहा।
आखिरकार न्याय की आस लिए सिस्टम से गुहार लगाता लगाता एक युवा कब अपनी जिन्दगी हार बैठा यह सवाल उसके बुजुर्ग मां बाप और जवान बहन के साथ साथ ग्रामीणों की जुबां पर तैर रहा है। सवाल फिर वही कि क्या रघुवीर की जान पुलिस और प्रशासनिक अमले की आंखों को खोल पाएगी? या फिर उसकी आखिरी चीख एक बार फिर फाइलों के पन्नों तक सिमट कर रह जाएगी?