
केंद्रीय पिछड़ी जातीय सूची मे चन्द्रवंशी ( रवानी/रमानी) दर्ज किया जाय - आईसा
रांची : ऑल इंडिया चंद्रवंशी युवा एसोसिएशन द्वारा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र देकर बताया है कि केंद्रीय पिछड़ी जाति में चंद्रवंशी (रवानी) जाती अंकित नहीं होने के कारण विभिन्न राज्यों में चंद्रवंशी रवानी समाज मजबूरन कहार, खरवार , कमकर व अन्य जाति का प्रमाण पत्र बना रहे हैं , जिस पर अपनी बात अध्यक्ष महोदय के पास रखी गई केंद्रीय पिछड़ी जाति सूची में कहार जाति क्रमांक संख्या 35 पर दर्ज है , कहार एक पेसा है , जिसमें कंधे से कार्य करने वाले को कहार कहा जाता था ।कहार एक जाति नहीं बल्कि एक पेसा /व्यवसाय है जो आजादी के बाद भी केंद्र एवं राज्य सरकार के नियुक्तियों में कहार पद के रूप में अंकित है। जिसे बिना जांच/शोध किये पेसा को जाति का दर्जा देते हुए सूचीबद्ध कर दिया गया , जिसे सुधारने की जरूरत है।
भारतवर्ष की जनगणना रिपोर्ट 1891 में कहार जाति के अंतर्गत बाथम, वोट, धीवर, धुरिया, धारुक, गोडिया, जैसवार, खरवार , महार, मल्लाह, रैकवार, रवानी, सिंघानिया, तुरैहा जाती दर्ज किया गया । कहार के अंतर्गत जिन उपजातियों को रखा गया है वास्तव में वह उपजाति नहीं बलिक स्वतंत्र जाती है , लेकिन अंग्रेजी सरकार द्वारा आकलन के आधार पर एवं एक सम्मान पैसा में सम्मिलित जाति को उपजाति बताकर कर कहार समूह के रूप में अंकित कर दिया गया जिसे बाद में जनगणना का आधार बनाते हुए कहार समूह को जाती घोषित कर दिया गया , जो एक जांच/शोध का विषय है ।
कहार के उपजातियों ने समय-समय पर सरकार के सामने अपना पक्ष रखा जिसके आधार पर कुछ उपजातियां आज स्वतंत्र जाति के रूप में जाने जाती है, उदाहरण हेतु वर्तमान उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग अंतर्गत कहार क्रमांक 04 पर ,तो धीवर क्रमांक 25 पर, केवट या मल्लाह क्रमांक 05 पर अंकित है, वहीं अनुसूचित जाति अंतर्गत खरवार क्रमांक 46 ( बनवासी को छोड़कर) तुरैहा क्रमांक 66 तथा अनुसूचित जनजाति अंतर्गत गोंड के प्रयार्य धुरियां क्रमांक 6 पर अंकित है। उत्तर प्रदेश ,बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों में खरवार, गोंड, रवानी व अन्य जातियों के राजस्व अभिलेखों में जाति के कॉलम में उनके वास्तविक जाति के स्थान पर पेशागत शब्द कहार दर्ज है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत कराते हुए कहा गया कि देश के विभिन्न राज्यों में चंद्रवंशी (रवानी/ रमानी) नाम को स्वतंत्र जाती पाई जाती है जो चंद्रवंश की एक शाखा और सम्राट जरासंध के वंशज हैं।
जाति सूची में चंद्रवंशी रवानी अंकित नहीं होने के कारण इस समाज को वास्तविक पहचान नहीं मिल पा रही है ।
ऑल इंडिया चंद्रवंशी युवा एसोसिएशन राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय से मांग करती है कि धीवर, मल्लाह, खरवार व अन्य जाति की तरह ही चंद्रवंशी रवानी/ रमानी को स्वतंत्र रूप से जाति के रूप में सूचीबद्ध करने हेतु शोध/ जांच कराने और केंद्र सरकार को परामर्श दिया जाय,; ताकि यह समुदाय अपनी जाति व इतिहास के अनुरूप गरिमा पूर्ण जीवन जी सके ।