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श्रीमद्भगवद्गीता मे बताये गये गुरु परंपरा से श्रीमद्भगवद्गीता सीखे !

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भगवद गीता यथारूप - गुरु-परम्परा , Bhagavad Gita As It Is Hindi - Guru Parampara
गुरु-परम्परा-

Bhagavad Gita 4.1 »
परम भगवान श्रीकृष्ण ने कहा-मैने इस शाश्वत ज्ञानयोग का उपदेश सूर्यदेव, विवस्वान् को दिया और विवस्वान् ने मनु और फिर इसके बाद मनु ने इसका उपदेश इक्ष्वाकु को दिया।

Bhagavad Gita 4.2 »

हे शत्रुओं के दमन कर्ता! इस प्रकार राजर्षियों ने सतत गुरु परम्परा पद्धति द्वारा ज्ञान योग की विद्या प्राप्त की किन्तु अनन्त युगों के साथ यह विज्ञान संसार से लुप्त हो गया प्रतीत होता है।

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एवं परम्पराप्राप्तम् इमं राजर्षयो विदुः (भगवद्गीता ४.२) | यह भगवद्गीता यथारूप इस गुरु-परम्परा द्वारा प्राप्त हुई है –
१. श्रीकृष्ण ,२. ब्रह्मा ,३. नारद , ४. व्यास ५. मध्व,६. पद्मनाभ ,७. नृहरि ,८. माधव
९. अक्षोभ्य,१०.जयतीर्थ , ११.ज्ञानसिन्धु , १२.दयानिधि ,१३.विद्यानिधि , १४.राजेन्द्र
१५.जयधर्म ,१६.पुरुषोत्तम , १७.ब्रह्मण्यतीर्थ १८. व्यासतीर्थ,१९.लक्ष्मीपति,२०.माधवेन्द्रपुरी
२१.ईश्र्वरपुरी (नित्यानन्द, अद्वैत),२२.श्रीचैतन्य महाप्रभु
२३.रूप(स्वरूप, सनातन),२४.रघुनाथ, जीव
२५.कृष्णदास,२६.नरोत्तम,२७.विश्र्वनाथ, २८.(बलदेव) जगन्नाथ,२९.भक्तिविनोद,३०.गौरकिशोर
३१.भक्तिसिद्धान्त सरस्वती,३२.ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद और अब उनके शिष्यों के माध्यम से हम तक।

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रथ सप्तमी जिसे सूर्य देव के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है ,उसी रथ सप्तमी के दिन 7 फरवरी 2022 से मैंने श्री श्री राधा गोविंद मंदिर
इस्कॉन , कुलाई , मैंगलोर द्वारा भगवद गीता पढ़ना शुरू किया था। क्या आपको पता है अर्जुन से भी पहले भगवद गीता का ज्ञान करोडो वर्ष पहले सूर्य देव को दिया गया था।

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हरे कृष्णा इस्कॉन , कुलई, मंगलुरु वैष्णव भक्तो की ओर से सभी वैष्णव भक्तों को सादर प्रणाम।

मंगल आरती सुबह @ 4:30 बजे , जप सत्र सुबह @ 5:00 बजे ,दर्शन आरती प्रातः 7:10 बजे प्रतिदिन ,भागवतम् क्लास (English ) में @ 8:00 बजे प्रतिदिन शामिल हों !

ज़ूम लिंक: https://t.ly/temple

मीटिंग आईडी: 494 026 3157

पासवर्ड : 108

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मंगलाचरण
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय,ॐ नमो भगवते वासुदेवाय !

1) ॐ अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जलाकया ।
चक्षुरुन्मिलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ।।
श्री चैतन्यमनोऽभीष्टं स्थापितं येन भूतले ।
स्वयं रूप: कदा मह्यंददाति स्वपदान्न्तिकम् ।।

2) वन्देऽहं श्रीगुरो: श्रीयुतपदकमलं श्रीगुरुन् वैष्णवांचश्र ।
श्रीरूपं साग्रजातं सहगणरघुनाथनविथं तं सजीवम् ।।
सद्वैतं सावधूतं परिजनहितं कृष्णचैतन्यदेवं ।
श्रीराधाकृष्णपादान सहगणललिताश्रीविशाखानन्विताशार्च ।।

3) हे कृष्ण करुणासिन्धो दीनबन्धो जगत्पते ।
गोपेश गोपिकाकान्त राधाकान्त नमोऽस्तु ते।।

तप्तकाञ्चनगौरंगी राधे वृंदावनेश्वरी।
वृषभानुसुते देवि प्रणमामि हरिप्रिये।

4) वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

जय श्रीकृष्ण-चैतन्य प्रभु नित्यानन्द।
श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौरभक्तवृन्द।।

5) नम ॐ विष्णु-पादाय कृष्ण-प्रेष्ठाय भूतले
श्रीमते भक्तिवेदांत-स्वामिन् इति नामिने ।

नमस्ते सारस्वते देवे गौर-वाणी-प्रचारिणे
निर्विशेष-शून्यवादि-पाश्चात्य-देश-तारिणे ॥

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।।
*****

*तुलसी प्रणाम मंत्र*

वृन्दायै तुलसी देवयायै प्रियायै केशवस्य च।
कृष्णभक्ति प्रद देवी सत्यवत्यै नमो नमः॥
*****

*वैष्णव प्रणाम मंत्र*
वाञ्छाकल्पतरुभ्यश्र्च कृपासिंधुभय एव च।
पतितानां पावनेभ्यो वैष्णवेभ्यो नमो नामः ।।

हरे कृष्ण हरे कृष्ण , कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम , राम राम हरे हरे।।

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श्री श्री राधा गोविंद मंदिर
इस्कॉन , कुलाई , मैंगलोर द्वारा *श्रीमद्भगवद्गीता को 18 दिनों में समझें- * नया बैच हर महीने के प्रथम सोमवार से शुरू होता है !
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भगवद् गीता Level-1 बैच 47 (Hindi) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक!

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4nhOfwGAa8v1FxmX1924Ur&si=wU9axplDIfIZHyXo

भगवद् गीता Level 2 बैच 45 (Hindi ) Online Class यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक -

https://youtube.com/playlist?list=PLKU6ikvAHEy4N6I3fTQT8bCpcUsoq3xaP&si=ZgUsjPqDjDzQrJTc

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श्रीमद्भागवत गीता Advance Level 4 Class की मेरी Group -A की 11वीं प्रस्तुति शनिवार 4 जनवरी को संपन्न हुई ! जिसका यूट्यूब रिकॉर्डिंग लिंक दिया गया है। मेरी प्रस्तुति वीडियो में समय 01:11:59 से है !

https://youtu.be/vRoIbz6isRk

प्रसूति मे दीये गये प्रश्न का उत्तर कुछ इस प्रकार से है।

Q- कृष्ण के विश्व-रूप की प्रकृति और अर्जुन द्वारा इसे देखने की इच्छा के कारणों की व्याख्या करें। उपदेश के लिए इसके महत्व पर चर्चा करें। अपने उत्तर में भगवद्गीता अध्याय 11 से प्रासंगिक श्लोकों और तात्पर्यों का संदर्भ लें।

Ans-1.अर्जुन इस बात को स्वीकार करते है कि श्रीकृष्ण एक साधारण मनुष्य नहीं है, अपितु समस्त कारणों के कारण है | किन्तु वह यह जानते है कि दूसरे लोग नहीं मानेंगे। अत: इस अध्याय में वह सबों के लिए कृष्ण की अलौकिकता स्थापित करने के लिए कृष्ण से प्रार्थना करता है कि वे अपना विराट रूप दिखलाएँ।

2.अर्जुन कृष्ण के विराटरूप को देखकर भयभीत तथा मोहित हो गए और वह तय नहीं कर पा रहे थे कि कृष्ण कौन है?
वस्तुत: जब कोई अर्जुन की ही तरह कृष्ण के विराट रूप का दर्शन करता है, तो वह डर जाता है, किन्तु कृष्ण इतने दयालु हैं कि इस स्वरूप को दिखाने के तुरन्त बाद वे अपना मूलरूप धारण कर लेते हैं। भगवान् कृष्ण अर्जुन को दिव्य दृष्टि प्रदान करते हैं और विश्व-रूप में अपना अद्भुत असीम रूप प्रकट करते हैं। इस प्रकार वे अपनी दिव्यता स्थापित करते हैं। कृष्ण बतलाते हैं कि उनका सर्व आकर्षक मानव-रूप ही ईश्वर का आदि रूप है। मनुष्य शुद्ध भक्ति के द्वारा ही इस रूप का दर्शन कर सकता है।

3.भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाया था ताकि अर्जुन की शंकाएं दूर हों और वह निष्कंटक भाव से युद्ध के लिए प्रेरित हो सके!

4.कृष्ण यह भी जानते हैं कि अर्जुन विराट रूप का दर्शन एक आदर्श स्थापित करने के लिए करना चाहता है, क्योंकि भविष्य में ऐसे अनेक धूर्त होंगे जो अपने आपको ईश्वर का अवतार बताएँगे।

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हार्दिक शुभकामनाएं,

Jeetendra Sharan
AIMA Media

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