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करोड़ों की रिश्वत के साथ आई फाइल में मलिक साहब आखिर क्या था..?

वर्तमान में मेघालय के राज्यपाल और पूर्व में जम्मू कश्मीर, बिहार, गोवा सहित कई प्रदेशों में गवर्नर और सक्रिय राजनीति में अपनी समझदारी का परचम फहरा चुके मेरठ काॅलेज छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एवं विधायक रहे श्री सत्यपाल मलिक का एक जमाना था जब उनकी वाकपटुता का सिक्का हर कोई मानता था। श्रोता उनका भाषण सुनने के लिए ही कई कई किलोमीटर दूर तक चले जाते थे। और उनकी बात सुनकर उस पर अमल करने की कोशिश भी उनके द्वारा की जाती थी। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चैधरी चरण सिंह के सानिध्य में राजनीति की शुरूआत कर ज्यादातर हमेशा विवादों से दूर रहते हुए तरक्की की ओर बढ़ने का कोई मौका ना चूकने वाले श्री मलिक भी एक तो देहात की राजनीतिक पृष्ठभूमि से निकलकर आगे बढ़े दूसरे किसान परिवार और उससे संबंध माहौल में पले बढ़े होने के चलते किसानों की समस्याओं को वो बहुत अच्छी तरह से समझते हैं।


लेकिन हमेशा से अपनी बात को कहने में ना चूकने वाले और मन की भावनाओं को सही शब्दों में समयानुसार प्रस्तुति करने में सक्षम सत्यपाल मलिक आज भी लगता है कि इस परंपरा को बनाए हुए रखे हैं। बीते दिवस अपने गृह जनपद के अमीनगर सराय के शीलचंद इंटर काॅलेज में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह में दोपहर को श्री सत्यपाल मलिक ने स्पष्ट कहा कि उन्होंने बिहार में राज्यपाल रहते हुए नकल माफियाओं पर शिकंजा कसने का प्रयास किया और शौचालय पर ध्यान दिया। जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार और गरीबी का माहौल है।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें वहां धारा 370 हटवाने के लिए भेजा। धारा 370 हटी और एक गोली भी नहीं चलवानी पड़ी। उन्होंने इसका पूरा श्रेय पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्यपाल रहते हुए अंबानी की एक फाइल उनके पास हस्ताक्षरों के लिए आई।
जिसके साथ करोडों़ की रिश्वत भी थी। और पीएम के इर्द गिर्द के कुछ लोग हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बना रहे थे। मैंने इससे जब प्रधानमंत्री जी को अवगत कराया तो उन्होंने मेरा साथ दिया।

इसी के साथ उनका कहना था कि किसानों को दिल्ली से खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। पंजाब का आदमी 300 साल तक घटना को नहीं भूलता इसका उदाहरण आॅपरेशन ब्लू स्टार के रूप में देखा जा सकता है। किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य संबंधी मांगों पर केंद्र सरकार उदारता पूर्वक विचार करे और समस्या का हल निकाले।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि राकेश टिकैत पर कार्रवाई मैंने रूकवाई। सरकार ने उसकी पूरी तैयारी कर ली थी। मेरा मानना था कि अगर धरना उठ जाता है तो माहौल खराब होने से कोई नहीं रोक सकता था। सरकार को एमएसपी पर कानून बना देना चाहिए और कृषि कानूनों में किसानों के मुताबिक संशोधन कर धरना खत्म कराने का प्रयास हो। अपने भव्य सम्मान समारोह में पुराने साथी पूर्व एमएलसी जगत सिंह तथा काॅपरेटिव बैंक के चेयरमैन मनिंदरपाल सिंह, शामली विधायक तजेंद्र सिंह, जिलाध्यक्ष सूरजपाल सिंह के अलावा ब्लाॅक प्रमुख जितेंद्र धामा, जितेंद्र गुप्ता, राजीव अग्रवाल, सतीश गुप्ता, पुरूषोत्म गर्ग, रोहित शर्मा, दिलशाद मलिक, अशोक, अन्नू मलिक, बिटटू, यज्ञदत्त शर्मा, महेश डायरेक्टर, कालू कुरैशी, रफीक इदरीश, मीर साहब, विजया पांडे, लता सिसौदिया, कुलदीप भारद्वाज आदि की उपस्थिति में श्री सत्यपाल मलिक अपनी जन्मस्थली हिसावदा गांव भी गए और बड़ों से आशीर्वाद लेते हुए अपने हमउम्रों के हालचाल पूछे और नौजवानों को संबोधित किया।

यहां भी उन्होंने स्पष्ट कहा कि फसल कहीं भी बेचने का कानून पुराना है। जिस पर विचार होना चाहिए क्योंकि मैं किसानों की समस्याएं समझता हूं। इसका हल कराने के लिए जहां तक जाना पड़ेगा जाउंगा क्योंकि जिस देश में किसान और जवान असंतुष्ट होंगे वह कभी तरक्की नहीं कर सकता।

हमेशा से ही स्पष्टवादी श्री सत्यपाल मलिक में वो बात अ
भी भी विराजमान है किसानों का प्रेम उनके हर संबोधन में झलकता नजर आया और इसके लिए कुछ भी कर गुजरने की ललक उनके भाषणों को पढ़ने से महसूस हुई। जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उनके द्वारा तारीफ की गई लेकिन एक बात जो आज समाचार पत्रों में खबरे पढ़कर नागरिकों में विशेष रूप से चर्चा का विषय बनी रही वो यह थी कि सत्यपाल मलिक ने जम्मू का राज्यपाल रहते अंबानी की जिस फाइल पर हस्ताक्षर करने का दबाव और साथ में मोटी रिश्वत आने की बात तो कही लेकिन यह नहीं बताया कि वह फाइल किस संदर्भ में थी और सिफारिश करने वाले कौन थे और उनके खिलाफ भाजपा के उच्च नेतृत्व ने क्या कार्रवाई की। और आज वो किस स्थिति में है।

रही बात सत्यपाल मलिक जी की तो वो हमेशा ही पाक साफ राजनीति में विश्वास रखने और अपनों को साथ जोड़कर चलने के लिए प्रसिद्ध है। उनके विधायक और मेरठ काॅलेज के अध्यक्ष सहित कार्यकाल में जिन पदों पर वह रहे
 उनके कार्यकाल को लोग आज भी याद करते है।

इसके पीछे क्या हो सकता है यह तो वही जाने लेकिन उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद लिखूंगा किताब। राज्यपाल का काम चुप रहना हस्ताक्षर और आराम करना होता है। इसलिए किस दिन मेरी छुटटी हो जाए बता नहीं सकता। हां इतना जरूर है कि रिटायरमेंट के बाद आपके बीच रहूंगा। उम्मीद है सबको मेरी किताब पसंद आएगी।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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