
दी ग्वालियर शुगर कम्पनी डबरा की जमीन हुई खुर्द बुर्द
भारत की अंग्रेज सरकार द्वारा ग्वालियर रियासत के महाराज स्वं श्री जीवाजी राव सिंधिया जी की अनुशंसा पर कानपुर के उद्धयोग पति स्व.श्री ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव जी को 85 बर्ष पूर्व सन 1940 में शक्कर उत्पादन कारखाने" दी ग्वालियर शुगर कम्पनी लिमिटिड डबरा"के लिए करीब 75 एकड़ जमीन दी गयी थी,तथा गन्ना उत्पादन के लिए"दी ग्वालियर एग्रीकल्चर कम्पनी लिमिटिड डबरा" के नाम पर 7500 एकड़ जमीन दी गयी थी, साथ में शक्कर उत्पादन के बाद उसके परिवहन की सुविधा हेतु रेलवे स्टेशन से शुगर कम्पनी तक रेल पटरी भी डालने की स्वीकृति दी थी, एवं गन्ना अन्य जगह से कम्पनी तक लाने खुद की लाईट रेलवे बनाने की अनुमति दी थी,इसके संचालन एवं कार्यपालन का जिम्मा अपने जर्नल ऑफ मिलिट्री स्व.श्री डायब साहब को सोंपी थी। देश मे यह बिरली ही शुगर कम्पनी एव एग्रीकल्चर कम्पनी थी जिसे इतनी सुविधाएं एव सरकारी जमीन उपलब्ध कराई गई थीं। यह शुगर क्वालिटी उत्पादन की एशिया में नम्बर वन कम्पनियो में एक गिनी जाती थी,किन्तु जनता पार्टी की बर्ष 1977 में बनी केंद्र सरकार के नए बने कानूनों के चलते देश का शक्कर उद्धयोग संकट में आ गया, उसके बाद कॉंग्रेस सरकार ने भी वह कानून लागू ही रखे,धीरे धीरे देश प्रदेश के सभी कारखाने बन्द होते गए, बर्ष 2000 में डबरा की कम्पनी भी बंद होने की कगार पर आ गयी,क्योकि आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया हो चुका था,गन्ना उत्पादन स्थानीय किसानों को ठेके पर देने के चलते स्थानीय नेताओं ने जमीन कब्जाली तथा कुछ सरकारी नेताओ ने स्थानीय प्रशासन को दबाकर जमीन के पट्टे अपने नाम करा लिए,शुगर कम्पनी के अधिकारियों एवं यूनियन नेताओ ने भी इसमें सहयोग किया।उसके बाद 2000 में कम्पनी के बारिश बीर विक्रम श्रीवास्तव ने अपने राजसी खर्चे के लिए शुगर कम्पनी एवं एग्रीकल्चर कम्पनी की जमीन अबैध रूप से बेचना शुरू करादी जबकि उन्हें कोई अधिकार नही था, पर खरीदने बाले सरकार का हिस्सा थे तो जमीन बिचती गयी, रजिस्ट्री नही नोटरी से जमीन खुर्द बुर्द हुई बिना कलेक्टर की अनुमति के जमीन की विक्रय हुआ।भाजपा एवं कॉंग्रेस दोनो सरकार के मंत्री अधिकारी सरकार से जुड़े नेताओ तथा मिल डायरेक्टर मिल के अधिकारियों यूनियन नेताओ ने 85 साल पूर्व की 7500 +75=7575 एकड़ जमीन का 80 %भाग क्रय विक्रय कर/करा /करवा दिया।