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राजस्थान में पहली बार जहां पर चर्च था उसकी जगह मंदिर बनेगा

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में एक चर्च को मंदिर में बदला जा रहा है। दीवारों को भगवा रंग में रंगा जा रहा है। जहां ईसाई धर्म का पवित्र क्रॉस था, वहां भैरूजी भगवान की प्रतिमा विराजित की जा रही है। हर संडे को प्रेयर की जगह रोज सुबह-शाम भगवान की आरती होगी। जय श्रीराम के नारे जयकारे गूंजेंगे। ये पहल की है खुद उस चर्च के पादरी ने, जिन्होंने हाल ही में धर्म वापसी की है।

रिपोर्ट जानिए...

125 वर्ष पुराना चर्च, गांव सोडलादूधा, गांगड़तलाई, बांसवाड़ा। लगभग पूरा गांव ईसाई कन्वर्टेड था। भारतमाता मन्दिर परियोजना के प्रयास से पिछले दिनों 80 परिवारों ने घर वापसी कर हिन्दू धर्म अपना लिया है। अब गांव के परिवारों की इच्छानुसार उस चर्च को भैरव जी के मन्दिर में परावर्तन कर रहे है। दिनांक 9 मार्च 2025 को सुबह के समय 11 बजे इस पुनित कार्यक्रम में आप सपरिवार आमंत्रित हैं।
राजस्थान में संभवतया इस तरह का ये पहला मामला है। सड़क से गुजर रहे एक बाइक सवार से चर्च और भैरव मंदिर के बारे में पूछा तो उसने इशारे से बताया। दो कच्ची झोपड़ियों के बीच एक पक्का स्ट्रक्चर बना था।
स्ट्रक्चर की बाहरी दीवार के बिल्कुल फ्रंट पर ईसाई धर्म का पवित्र चिन्ह क्रॉस बना था। फ्रंट ही नहीं सभी दीवारों पर क्रॉस बना हुआ था। इधर स्ट्रक्चर पर सामने की दीवार और दरवाजे पर बने पवित्र चिन्ह क्रॉस को हटाया जा रहा था। दीवारों को भगवा रंग में रंगा जा रहा था। मौजूद लोग तेजी से काम में जुटे थे।
65 साल के बुजुर्ग और वर्तमान में चर्च के पादरी गौतम गरासिया और मौजूद लोगों ने बताया कि हॉल की बनावट को पूरी तरह बदला जाएगा। दरवाजों और दीवारों का रंग भगवा किया जाएगा। हॉल की छत को समतल किया जाएगा। वहीं जहां प्रार्थना सभा के लिए एक ऊंचा स्थान बनाया गया था। वहां भैरव भगवान की प्रतिमा के लिए चबूतरा बनाया जाएगा। गौतम ने बताया कि तीस साल पहले उन्होंने ईसाई धर्म अपनाया था। वे धर्म परिवर्तन करने वाले सोड़लादूधा गांव के पहले व्यक्ति थे। और उनके परिवार में 30 सदस्य है। गौतम के 6 बेटियां और 5 बेटे हैं। सभी ने ईसाई धर्म नहीं अपनाया। गौतम के दो बेटों के परिवार ने हिंदू धर्म में वापसी कर ली है। वहीं गौतम की पत्नी ने अभी धर्म परिवर्तन नहीं किया वह अभी भी ईसाई धर्म में ही है। मंदिर में गौतम के भाई के बेटे विक्रम गरासिया भी मौजूद थे।
गौतम ने बताया कि उसके ईसाई धर्म ग्रहण करने के बाद ईसाई धर्म से जुड़े लोगों ने गांव में आना शुरू कर दिया था। वह गांव वालों को ईसाई धर्म के प्रेरित करते थे। गौतम को महीने के 1200 से 1500 रुपए दिए जाते थे। गौतम हर रविवार को अपने झोपड़े के पास प्रार्थना सभा आयोजित करता था। तीन साल पहले उसके झोपड़े के पास ही चर्च बनाने के लिए गौतम को बजट दिया गया।
चर्च बनने के बाद उसमें होनी वाली धर्म सभा में बाहर से पादरी आने लगे। प्रार्थना सभा में आने वाले ग्रामीणों को भी दान करने के लिए कहते थे। गौतम ने बताया कि उससे प्रभावित होकर उसके दो बेटे और बहुओं सहित गांव के काफी लोगों ने धर्म बदला था।
साथ ही उसके धर्म बदलने के बाद गांव में रहने वाले 45 लोगों ने भी अपना धर्म परिवर्तन कर लिया था। अब उनमें से 30 लोगों ने एक साथ फिर से हिंदू धर्म अपना लिया है। इन लोगों ने पिछले साल आयोजित हुए एक कार्यक्रम में घर वापसी की है। गौतम ने दावा किया कि बचे हुए 15 लोग भी जल्द घर वापसी करने वाले हैं।

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