
केवाईसी के नाम पर किसानों से खुली लूट – पहली किस्त पर 4000 लिए, अब दूसरी किस्त पर 1000 की फिरौती
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के उगनपुर, मरौरी सहित कई ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों से अवैध वसूली की जा रही है। दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से यह भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है, जिससे किसान परेशान और मजबूर हो गए हैं।
जगन्नाथ राठौर: किसानों की मजबूरी का सौदागर
उगनपुर, मरौरी का दलाल जगन्नाथ राठौर किसानों से अवैध वसूली करने के लिए दूसरे बड़े दलालों को थोड़े पैसे देकर उनका काम करवाता है। जब किसान निधि की पहली किस्त आई थी, तब उसने 4000 रुपये लिए थे। अब दूसरी किस्त आने के बाद फिर से 1000 रुपये मांग रहा है और किसानों को धमका रहा है कि अगर पैसे नहीं दिए तो उनकी किसान निधि बंद करवा देगा।
कैसे चल रहा है यह गोरखधंधा?
1. किसानों को डराया जाता है कि अगर उन्होंने पैसा नहीं दिया तो उनकी किसान सम्मान निधि योजना की राशि रोक दी जाएगी।
2. पहली किस्त पर 4000 रुपये वसूलने के बाद अब दूसरी किस्त पर 1000 रुपये की फिरौती मांगी जा रही है।
3. जगन्नाथ राठौर खुद सीधे अधिकारियों से काम नहीं कराता, बल्कि कुछ बड़े दलालों को पैसा देकर काम करवाता है।
4. अगर कोई किसान विरोध करता है, तो जानबूझकर उसका काम रोक दिया जाता है, जिससे वह मजबूर होकर रिश्वत दे।
सरकारी योजनाओं पर पड़ रहा असर
सरकार किसानों की मदद के लिए यह योजना लाई थी, लेकिन भ्रष्ट लोगों की वजह से किसानों को उनका हक पाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है। यह न केवल किसानों के साथ अन्याय है, बल्कि सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचाने की साजिश है।
अब क्या होना चाहिए?
1. जगन्नाथ राठौर और उसके जैसे दलालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
2. प्रशासन को रिश्वतखोरी रोकने के लिए कड़ी निगरानी रखनी चाहिए और भ्रष्ट अधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ जांच करनी चाहिए।
3. किसानों को जागरूक किया जाए कि वे किसी भी दलाल को पैसा न दें और सीधे उच्च अधिकारियों से शिकायत करें।
4. अगर प्रशासन सुनवाई नहीं करता, तो इस मामले को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया जाए।
सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बावजूद इस तरह का भ्रष्टाचार दर्शाता है कि स्थानीय स्तर पर प्रशासन कितना लापरवाह है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो किसानों का शोषण इसी तरह जारी रहेगा।