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आदरणीय प्रोफेसर कुमुद शर्मा जी को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा का कुलपति बनाए जाने पर हार्दिक-हार्दिक बधाई ।

आदरणीय प्रोफेसर कुमुद शर्मा जी को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा का कुलपति बनाए जाने पर हार्दिक-हार्दिक बधाई ।
प्रोफेसर कुमुद शर्मा हिंदी साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान देने वाले एक प्रख्यात स्थान हैं। उन्होंने हिंदी कविता, कहानी, नाटक, आलोचना और अनुवाद के क्षेत्र में अपनी विशेष उपस्थिति बनाई है।

प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने अनेक लोकप्रिय काव्य संग्रह लिखे हैं जैसे "धूल के आँगन", "आज फिर दिल ने पुकारा है", "उस पार के बस्ती" और "सूरज के समान" आदि।

उन्होंने नाटक लेखन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बनाई है और उनके लिखे नाटक जैसे "बेघर", "प्रतिज्ञा", "शोर", "आँखों के सामने" और "आधे अधूरे" आदि लोकप्रिय हैं।

इसके अलावा, प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने हिंदी साहित्य के क्षेत्र में आलोचना का भी अपना योगदान दिया है। उन्होंने अनेक विषयों पर अपने लेख लिखे हैं और हिंदी साहित्य के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

अतिरिक्त रूप से, प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने अनेक उत्कृष्ट लेखनों का अनुवाद भी किया है, जो अंग्रेजी साहित्य से हिंदी में अनुवादित किए गए हैं। उन्होंने उत्कृष्ट लेखन का अनुवाद किया है जैसे "सिद्धार्थ" (हर्मन हेस्से), "अज्ञातवास" (जोसेफ अग्नेल), "फ्रांकलिन डी रूजवेल्ट और मैं" (शिकागो ट्रिब्यून की संपादक जोन के। ओ'हारा) और "जीवन के उपहार" (ओशो) आदि।

सम्मानित प्रोफेसर कुमुद शर्मा का योगदान हिंदी साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में नहीं सीमित है, बल्कि उनका योगदान हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण और अमूल्य है।

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