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गुटखा, तंबाकू जानलेवा बन रहे, कैंसर हो सकता है

मेरठ: 25 फरवरी 2025 पहले लोग मीठा पान गुलकंद गिरवाकर या खुशबू वाला पान खाया करते थे जिसमें सुपारी के चबाने से मुंह की हरकत होती थी तथा वह मुंह के लिए फायदेमंद थी। परंतु आजकल देखने में आया है कि पान की दुकान कम हो गई हैं यदि हैं तो उनकी दुकानों पर ज्यादातर तंबाकू के पाउच सज रहे हैं जैसे गुटखा राज दरबार, तुलसी इत्यादि एवं चैनी खैनी, कुबेर तंबाकू सुरती वाला (जो हाथ में रखकर उसके साथ चूना मिलाकर रगड़कर तैयार किया जाता है)। इस प्रकार विभिन्न प्रकार के तंबाकू के पैकेट से दुकानें भरी पड़ी हैं। यह तंबाकू पान की दुकान के अतिरिक्त परचून की दुकान पर भी उपलब्ध है। जबकि प्रत्येक व्यक्ति अच्छी तरह से जानता है कि तंबाकू खाना, चबाना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। लोगों को देखा गया है कि वह गुटके का पैकेट दुकान से खरीद कर तुरंत फाड़कर सीधे मुंह में डाल लेते हैं जबकि कई बार देखने में आया कि गुटके के पैकेट में छिपकली की पूछ भी मिली है क्योंकि गुटखा बनाने वाले तंबाकू में अधिक नशा हो जाए उसके लिए तरह-तरह के नशीले पदार्थ मिश्रित करके नशा तेज करते हैं ताकि ग्राहक उनका गुटखा खरीदे। गुटके को खोलकर हाथ पर रखकर देखकर खाना चाहिए कि उसमें कुछ गलत वस्तु तो मिली हुई नहीं है।

हमें खुद के अंदर झांक कर देखना है। यदि हम तंबाकू छोड़ना चाहे तो कैसे छोड़ सकते हैं। इस पर सोचे-समझे विचार करें और अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करें क्योंकि यदि हमें कैंसर की टेंशन, पैसे की बर्बादी, अपने कनिष्ठ के सामने शर्मिंदगी, बार-बार थूकने से शर्म आना जैसी बातों से अपने अंदर ग्लानि महसूस हो रही है तो हम गुटका या तंबाकू खाना छोड़ सकते हैं।

गुटखा से सीधे कैंसर हो सकता है, क्योंकि गुटके के पाउच पर लिखा होता है। गुटखा चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है तथा उस पर तस्वीर भी बनी होती है। जिसमें व्यक्ति का मुंह कैंसर के कारण खराब हुआ दिखाया जाता है। यह तस्वीर सीधे जागरुक करना चाहती है कि इस गुटके को खाने से आप भी इस प्रकार की बीमारी से ग्रस्त हो जाएंगे परंतु व्यक्ति इग्नोर कर देता है।

यदि आप नहीं देख रहे हैं तो अपने जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। कृपया सेल्फ एसेसमेंट करके देखें परंतु हम अपने मन में मान लेते हैं की बहुत से लोग 10-15 साल से गुटखा खा रहे हैं, तंबाकू चबा रहे हैं। उन्हें कैंसर नहीं हुआ तो हम बिना मतलब की मानसिक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। कभी भी कैंसर एक साथ नहीं होता। यह स्लो पॉइजन है जो की धीरे-धीरे कैंसर के रूप में विकसित हो जाता है। हमारे मुंह के अंदर मुख्य वैन जो होती है। वह सफेद हो जाती है तथा उसकी परत मोटी हो जाती है जिससे मुंह से खाना निगलने में हमें परेशानी होने लगती है तथा मुंह खुलना भी लगभग कम हो जाता है। सफेद परत से अल्सर बन जाता है। मुंह का कैंसर जानलेवा बीमारी है जिससे हम खुद का नुकसान, परिवार का नुकसान, मानसिक यातना, आर्थिक नुकसान होता है तथा हम देश को प्रोडक्शन नहीं दे पाते हैं। ध्यान रखेंगे तो हम आसानी से गुटखा छोड़ देंगे।

आपके दिमाग में तंबाकू छोड़ने की सबसे बड़ी दवा मानसिक शक्ति ब्रेन पावर है। आप सोच लीजिए मुझे गुटखा छोड़ना है। मुझे दम घुट-घुटकर नहीं मरना तो आप धीरे-धीरे गुटखा कम कीजिए तंबाकू के अंदर अलग कुछ भी नहीं है। आप सुस्त हो जाते हैं, निढाल हो जाते हैं तो आप फल का प्रयोग करें फिर भी आप गुटखा छोड़ने में सफल नहीं हो पाते हैं तो आप दवाई ले सकते हैं। होम्योपैथिक में दवाई आती है जिसमें सर के चक्कर आना, शरीर का सुस्त पड़ना, सर दर्द होना इसके लिए AVENA SATIVA. Q जिसे आप 15-20 बूंद दिन में तीन बार ले सकते हैं इससे नर्वस सिस्टम ठीक रहेगा और दूसरी दवा DAPHNE INDICA IX है। दोनों दवाऐ एक साथ भी प्रयोग कर सकते हैं। इससे आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस आत्मविश्वास बढ़ेगा। सबसे पहले आपको अपने दिमाग को प्रिपेयर करना है, तैयार करना है। तभी आप गुटखा तंबाकू छोड़ पाएंगे। आपकी विल पावर भी मजबूत होनी चाहिए। गुटखा तंबाकू छोड़ने से आपकी व आपके परिवार की तथा देश की भलाई होगी।

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