"माँ, तू अपना ख़याल रखा कर"
तू अपना ख़याल रखा कर, मेरी माँ,
मुझे ख़ुद से भी ज़्यादा परवाह है तेरी।
मेरी पहली और आख़िरी मोहब्बत है तू,
हर साँस में बसती है सूरत तेरी।
तेरी हथेली की छाँव में बचपन बीता,
तेरी दुआओं से हर दुःख सिमटा।
जब भी गिरा, तूने संभाल लिया,
तेरी गोद ही तो मेरा घर बसा।
ख़ुद भूखी रहकर मुझे खिलाया,
अपनी नींदें देकर मुझे सुलाया।
दर्द छुपा लिया अपनी हँसी में,
हर मुश्किल को तूने आसान बनाया।
अब मैं बड़ा हुआ, ज़िम्मेदारियाँ हैं,
पर तेरा आशीर्वाद ही तो मेरी राह है।
तू बस मुस्कुराती रहे सदा,
यही मेरे जीवन की चाह है।
तू अपना ख़याल रखा कर, मेरी माँ,
क्योंकि तुझसे ही रोशन ये दुनिया मेरी।.... आहिर धर्मदीप भीखूभाई