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दीपक बैज साबित हुए कांग्रेस के लिए मनहुश अध्यक्ष दीपक बैज के अध्यक्ष रहते कांग्रेस को मिली केवल हार
दीपक बैज के अध्यक्षीय कार्यकाल मे कायकर्ताओं की हुई उपेक्षा
दीपक बैज मे पद लोलुपता नहीं है तो हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए क्योंकि नहीं देते इस्तीफा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की ओर से आ रही प्रतिक्रियाओं मे यही छनकर आ रहा है की दीपक बैज ने जबसे छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का कमान संभाला है तबसे प्रदेश मे मनहूशियत छा गयी है,ज़ब छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस की सरकार थी तब तक तो सब ठीक रहा पर चुनाव मे एक दूसरे को निपटाने की सोंच रखते हुए बाँटे गए टिकट तत्कालीन विधायकों के काटे गए टिकट का परिणाम रहा सत्ता हाँथ से निकल गयी और यह रहा दीपक बैज के अध्यक्षीय कार्यकाल का पहला हार। फिर साल भर बाद लोकसभा की चुनाव हुई जिसमे 11 मे से 2 सीटों मे आसीन कांग्रेस को 1 सीट मे सिमित कर फिर से हार गए।हार का सिलसिला यहीं नहीं रुका रायपुर दक्षिण विधानसभा मे उपचुनाव हुआ जहां पर फिर से हार कांग्रेस के खाते मे चढ़ी। फिर नगरीय निकाय चुनाव मे पहले टिकट वितरण मे गड़बड़ी फिर चुनाव परिणाम मे मिली ऐतिहासिक हार,यानि दीपक बैज का दूसरा नाम कांग्रेस का हार ही है।एक तो ज़ब प्रदेश अध्यक्ष बनाये गए दीपक बैज तब बस्तर लोकसभा से कांग्रेस सांसद रहें हैँ तब सत्ता के गलियारों मे भूपेश बघेल से बहुत अच्छी जमती थी चर्चाएं दीपक बैज के ज्यादा ही होते थे, दीपक बैज के चाहने वालों ने भविष्य के सीएम तक कह दिया तब दीपक बैज ने सोंचा हाँथ से मौका निकल न जाये इसलिए सांसद रहते हुए पीसीसी प्रमुख रहते हुए सिटिंग MLA चित्रकूट राजमन बेंजाम का टिकट काटकर मैदान मे स्वयं उतर गए पर वहाँ भी हार का ही सामना करना पड़ा, दीपक बैज के सपनों मे पानी फिर गया साथ ही साथ प्रदेश के लाखों युवाओं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के आस पर पानी फेर दिया फिर भी कार्यकर्ताओं ने नेताओं के खिलाफ गुस्सा पी गए सोचा आगे कुछ अच्छा होगा फिर लोकसभा मे वही हाल न कोई बदलाव न कुछ नया हुआ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा फिर अब नगरीय निकाय मे जिनकी पहुंच पीसीसी तक है उन्हें ही मौका मिला यानि जो करेगा खर्चा उसी का होगा चर्चा के तहत टिकट वितरण मे गोलमाल किया नतीजा सामने है हार हार हार केवल हार।बात यहीं नहीं रूकती अब कार्यकर्ताओं की पार्टी कहे जानी वाली कांग्रेस मे कार्यकर्ताओं की आवाज को कुचला जा रहा है यानि बात खुलकर अगर कोई नेता कार्यकर्ता रख दे तो उसे नोटिस या निष्कासन थमा दिया जा रहा है यह तो सरासर गलत है। बात दिल्ली तक पहुंच चुकी है और बदलाव के संकेत भी मिल चुके हैँ कार्यकर्ताओ की ओर से आ रही आवाज कह रही दीपक बैज इस्तीफा दीपक बैज स्तीफा दो यहाँ तक पूर्व विधायक सहज सरल नेता कुलदीप सिँह जुनेजा ने यहां तक कह दिया की ज़ब तक दीपक बैज अध्यक्ष रहेंगे राजीव भवन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय नहीं जाऊंगा तब भी दीपक बैज को नहीं लगा की नैतिकता के आधार पर स्तीफा दे देनी चाहिए कार्यकर्ताओं की आवाज दबी जुबान से निकलकर गुस्सा सोशल मीडिया मे फुटकर सामने आ रहा है फिर भी महिमामंडल करने वालों की टोली बिच बचाव मे लगी हुई है यह साबित करने मे की दीपक बैज इज द बेस्ट लीडर। अगर दीपक बैज कांग्रेस की भलाई चाहते हैँ तो दीपक बैज इस्तीफा देंगे या फिर कांग्रेस पार्टी कांग्रेस को पुनः स्थापित करना चाहती है तो कांग्रेस नया अध्यक्ष बनाएगी देखना होगा कौन सा निर्णय पहले होता है।दीपक बैज को प्रदेश अध्यक्ष बनाना ही एक दूसरे को काटने की शुरुआत थी जो की स्वयं के लिए यानि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए घातक साबित हुआ है फिर भी नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ रहा पर कार्यकर्ताओं के ऊपर जो गुजर रहा है उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं आज छत्तीसगढ़ प्रदेश मे कांग्रेस को शुन्य से अपनी पारी की शुरुआत करनी होगी और यह काम कार्यकर्ताओ के दम पर ही सम्भव है अगर कार्यकर्ताओ की अनदेखी अभी की भांति आगे भी रही तो पार्टी को भविष्य मे लम्बा नुकसान होने की पूरी गुंजाइस है।अब तक यही देखने को मिला था की अध्यक्ष या प्रमुख हार की जिम्मेदारी स्वयं अपने ऊपर लेता है नैतिकता के आधार पर यहां तक तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गाँधी पिछली लोकसभा चुनाव मे राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए हार की जिम्मेदारी स्वयं अपने ऊपर लेकर इस्तीफा दे दिया था अगर दीपक बैज राहुल गाँधी को नेता मानते हैँ तो उनकी ओर से जिम्मेदारी कब ली जाएगी यह देखना होगा.