
*"लापरवाह जिम्मेदारों के चलते नहीं हुआ सीमांकन बिना नक्शा देखे किया आधा सीमांकन"*
*"लापरवाह जिम्मेदारों के चलते नहीं हुआ सीमांकन बिना नक्शा देखे किया आधा सीमांकन"*
*मध्यप्रदेश के ग्राम मुजावर माल, उपतहसील सांवरी बाजार में खेल मैदान की भूमि सीमांकन को लेकर एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया है। ग्राम पंचायत सरपंच, जनपद सदस्य एवं समस्त ग्रामवासियों ने कार्यालय उप तहसील सांवरी, मोहखेड़ को आवेदन देकर खसरा नंबर 431, कुल रकबा 0.405 हेक्टेयर भूमि का सीमांकन कर अतिक्रमण मुक्त करने की मांग की थी।*
इस संदर्भ में तहसीलदार द्वारा राजस्व निरीक्षक (रा.नि.) पांच पटवारियों की एक टीम गठित की गई थी, जिस टीम ने बिना नक्शा देखे आधा सीमांकन कर दिया फिर कुछ ही पल में ऐसा हुआ कि राजस्व टीम ने नक्शा त्रुटि का हवाल देकर सीमांकन रोख दिया ग्रामीण अचंभा में आ गए कि एक पल में ऐसा क्या हुआ कि नक्शा बदल गया राजस्व का ये कैसा जादू:
टीम में सम्मिलित जिम्मेदारों के नाम-
1. श्री रेशमलाल पवार - प्रभारी राजस्व निरीक्षक, सांवरी
2. सुश्री विभा मंडलोई - पटवारी, प.ह.नं. 05, मुजावर माल
3. श्रीमति प्रमिला टेकाम - पटवारी, प.ह.नं. 33, बदनूर
4. श्री विवेक कुमार शर्मा - पटवारी, प.ह.नं. 20, करलाकल
5. श्री दीपक कुमार कनौजे - पटवारी, प.ह.नं. 19, टेमनी खुर्द
6. श्रीमती रंजना डोईफोडे - पटवारी, प.ह.नं. 34, नरसला
टीम को तीन दिनों के भीतर सीमांकन पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। निर्धारित समय पर सीमांकन कार्य शुरू भी हुआ, लेकिन सीमांकन पूरा नहीं हुआ बल्कि समस्या उत्पन हो गई।
सीमांकन रोकने के पीछे की वजह
ग्रामवासियों और सरपंच ने जब अधिकारियों से सीमांकन रुकने का कारण पूछा, तो राजस्व निरीक्षक ने बताया कि नक्शा छोटा-बड़ा हो गया है, जिसे दुरुस्त किए बिना सीमांकन संभव नहीं है। हालांकि, इस कारण पर संदेह जताया जा रहा है।
तुरंत तो लोगो को लगा प्रशासन क्या कर रहा है?
*मजाक*
कुछ समय के लिए लोग भूल गया, की यहां सीमांकन हो रहा है या
*हास्य कवि सम्मेलन*
स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मामला कहीं न कहीं राजनीतिक दबाव से जुड़ा हो सकता है। अक्सर देखा जाता है कि जब सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाती है, तो बाहरी हस्तक्षेप सामने आता है। यह मामला भी उसी तरह का प्रतीत हो रहा है, जहां सीमांकन प्रक्रिया किसी अज्ञात व्यक्ति के फोन के कारण अचानक रोक दी गई।
प्रश्न चिन्ह बना ?
*कौन है वो*
क्या अतिक्रमण हट पाएगा या बना रहेगा विवाद?
*राम जाने*
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर पाएगा या यह विवाद लंबे समय तक चलता रहेगा? अगर नक्शे में कोई त्रुटि है, तो क्या उसे शीघ्र सुधार कर सीमांकन पूरा किया जाएगा? या फिर यह मामला राजनीतिक प्रभाव और प्रशासनिक लापरवाही के कारण ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
ग्राम पंचायत और स्थानीय नागरिक अब इस मामले पर प्रशासन की अगली कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सीमांकन प्रक्रिया फिर से शुरू होगी या अतिक्रमणकारी ही इस भूमि पर काबिज रहेंगे।
जबकि उपरोक्त खसरे पर पूर्व में ग्राम पंचायत द्वारा इस ही नक्शे के आधार राजस्व पटवारी की सहमति से खेल मैदान समतली करण, वृक्षारोपण , व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स जैसे कार्य के किए गए हैं तो इससे लगता है ।
*सवाल ये है-*
1. क्या राजस्व टीम बिना नक्शा देखे कार्यस्थल पर क्यों पहुंची ?
2. नक्शा में त्रुटि थी तो सीमांकन प्रारंभ क्यों किया गया ?
3. इसके पूर्व किए गए सीमांकन में नक्शा त्रुटि क्यों समझ नहीं आई ?
4. क्या नक्शा सुधार के बाद दोबार होगा सीमांकन ?
5. 15, 20 सालों से नक्शे में त्रुटि है तो क्यों सोया है राजस्व प्रशासन ?
6. क्या किसी दबा के चलते नक्शा त्रुटि का बहाना बना रही है टीम ?
7. क्या अचानक कोई राजनीतिक दबाव आ गया ?
8. या तो सीमांकन टीम में कोई जिम्मेदाराना नहीं ?
9. कारण केवल लापरवाही ?
*कुछ तो है-*
प्रशासन कितनी भी सफाई दे पर-
*ये पब्लिक है, सब जानती है।*