logo

पत्रकारों का भी पुलिस वेरिफिकेशन हो आवश्यक- जेसीआई


पत्रकारिता के क्षेत्र में असामाजिक तत्वों व अपराधिक किस्म के लोगों की बढ़ती भीड़ से पत्रकारिता की छवि तार- तार हो रही है। पत्रकारिता के क्षेत्र में असामाजिक तत्वों की बढ़ती अनियंत्रित भीड़ पर नियंत्रण हेतु सरकार को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
यह बात जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया (रजि.) की वर्चुअल बैठक में उठी। उपस्थित वरिष्ठ पत्रकारों का कहना था कि यदि सरकार अब भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं देगी तो पत्रकारिता का अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा, और पत्रकारिता की गरिमा धूमिल होकर रह जायेगी।
जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ़ इंडिया (रजि.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० अनुराग सक्सेना द्वारा इस पर कड़ी चिंता जताई गई। उन्होंने कहा कि इस पर न्याय संगत कार्रवाई हेतु, संगठन की ओर से एक पत्र देश के गृह मंत्री को भेजा जा रहा है। पत्र में संगठन ने आग्रह किया है कि सरकार पत्रिकारिता के क्षेत्र में आने वालों के लिए एक आवश्यक नीति निर्धारण करे और पत्रकार बनने से पूर्व उनका पुलिस वेरिफिकेशन कर उनके चरित्र का सत्यापन अवश्य करायें।
उल्लेखनीय है कि आज पत्रकारिता के क्षेत्र में अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों का बढ़ता दायरा पत्रकारिता के लिए नासूर और घातक बनता जा रहा है। ऐसे लोग अपनी आदतों और कारनामों को छिपाने, दबाने के लिए पत्रकारिता का चोला ओढ़कर लगातार पत्रकारिता की छवि को धूमिल कर रहे हैं। ऐसे लोग पत्रकार बनकर समाज में राजनैतिक लोगो के संपर्क के साथ साथ अधिकारियों, कर्मचारियों पर रौब जमाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। संगठन ने अपने पत्र में कहा है कि जिस प्रकार जनसंपर्क विभाग मान्यता के लिए पत्रकारों का पुलिस वेरीफिकेशन करवाती है। उसी प्रकार सरकार यह नियम बनाये कि पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाले हर शक्स का पुलिस वेरिफिकेशन अवश्य हो। इसके साथ ही पत्रकार संगठनों के लिए भी अनिवार्य कर दें कि वे उन्हें ही सदस्य बनाए जो पत्रकार सदस्यता आवेदन फार्म के साथ पुलिस वेरीफिकेशन दें या स्वयं प्रमाणित करें कि उसके खिलाफ कोई अपराधिक प्रकरण नही है और न ही कभी ऐसा अपराधिक मामला रहा है जिसमें उसे कोई सजा हूई हो। इसी के साथ पत्रकार संगठनों को भी निर्देशित करें कि सही व्यक्ति को ही पत्रकार संगठन का सदस्य बनाया जाये्, ताकि असल कलमकारों के साथ न्याय हो और समाज में पत्रकारो को वह सम्मान मिले जिसके वह हकदार हैं। श्री सक्सेना ने सरकार से इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आग्रह किया है ताकि पत्रकार व पत्रकारिता की छवि को बचाया जा सके।

4
2693 views