logo

बालाघाट जिले के खैरी बॉर्डर से महाराष्ट्र की ओर घुसने लगी हैं गाड़ियां,---- गब्बर के सोने का इंतजार करते ही निकल रही है धान की गाड़ियां,---

नही थम रही धान की कालाबाजारी
--------------------------------
खैरलांजी। मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले से खैरलांजी मुख्यालय अंतर्गत खैरी नाके से अंधेरी रात का फायदा उठाते हुए धान व्यापारी अपनी गाड़ियां बेखोफ निकल रहे हैं, खैरलांजी मुख्यालय से खैरी ग्राम लगा हुआ सीमावर्ती क्षेत्र महाराष्ट्र धान की तस्करी का प्रमुख केंद्र है। बावनथढी नदी और वैनगंगा नदी पुल से दोनों राज्यों के बीच गाड़ियों का बेरोकटोक आना जाना है। छिंदवाड़ा,सिवनी,लालबर्रा, मंडला और बालाघाट से दलाल इसी पुल को पार कर महाराष्ट्र पहुंचते हैं। पुल के पार करने सहित अन्य गांवों में दलालों का नेटवर्क है। ट्रकों से लेकर गाड़ियों में धान बॉर्डर के पार आसानी से हो रही है। जांच के लिए चौकियां भी है, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार धान तस्कर बिचौलिए खैरलांजी मुख्यालय में दोपहर से ही डेरा डाल देते है फिर अंधेरी रात का फायदा उठाते हुए गब्बर के सोने का इंतजार करते ही धान तस्कर बड़े आसानी से बॉर्डर पार करवाते। यहां ट्रकों में लदकर धान महाराष्ट्र के राइस मिलर्स तक पहुंच रहा है। लोगों ने बताया कि आधी रात के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा,सिवनी,लालबर्रा,बालाघाट से धान से भरी गाड़ियां रोज आ रही है। सब कुछ तय है क्योंकि बरसों से यही चल रहा है। इस दौरान प्रशासन द्वारा इन पर कोई कार्यवाही नही करना भी इस बात को बल प्रदान करता है कि सब कुछ साठगांठ से संचालित होता है। इस तरह मध्य प्रदेश का धान तस्कर और बिचौलिये मिलकर महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में राइस मिलर्स एवं मंडियों में खपा रहे हैं। जिले में भ्रष्टाचार और गोरखधंधे चरम पर है। शासकीय अधिकारियों और माफियाओं की खुली साठगांठ के चलते शासन को जमकर चूना लगाया जा रहा है। वहीं इन सब कारनामों का खमियाजा आखिर में जिले की आमजन को ही उठाना पड़ता है। मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र राइस मिलर्स को सप्लाई करने के उद्देश्य से ले जाए जा रहे धान परिवहन के एक अनुमति पत्र अनुज्ञा का सहारा लेकर 2 से 3 बार आसानी से धान के वाहनों को बिना मंडी शुल्क के नाके के जिम्मेदारों से सांठगांठ कर सीमा पार कर दिया जाता है। क्षेत्र के किसानों से निजी व्यापारी द्वारा खरीदा गया धान महाराष्ट्र के कुछ चुनिंदा राइस मिलर्स को बेच दिया जाता है। इधर,धान खरीदी से किसानों को पर्याप्त लाभ पहुंचाने की शासन की कोशिश लगातार सिफर साबित होते नजर आ रही है। जिले में लगे अधिकतर राइस मिल नागरिक आपूर्ति निगम में पंजीकृत है। जिन्हें शासन द्वारा किसानों से खरीदी गई धान के लाट उपलब्ध करवाए जाते है। नियमानुसार मिल मालिक उस धान की मिलिंग कर शासन द्वारा निर्धारित मात्रा में चावल नागरिक आपूर्ति निगम को वापस करता है। इस एवज में उसे निर्धारित मिलिंग चार्ज,धान परिवहन का व्यय शासन द्वारा निर्धारित नीति अनुसार दिया जाता है। इसी प्रक्रिया से अब तक जिले के मिलर्स कार्य करते है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब इस प्रक्रिया में कई कथित राइस मिलर्स ने मोटी कमाई का एक नया जरिया निकाल लिया है। जो नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की साठगांठ से किया जा रहा है। सूत्र बताते है कि शासन द्वारा आबंटित शासकीय धान को प्रदेश के बाहर महाराष्ट्र में बेचा जा रहा है इस पूरे मामले में सूक्ष्म और व्यापक जांच की आवश्यकता है। जिससे शासन को चूना लगाने वाले माफियाओं के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।

सफेद हाथी सबित हो रहे नाके
-------------------------------
इस दौरान खैरी और मोवाड़ चेक पोस्ट पर कलेक्टर के आदेश पर स्थापित किए गए नाके मात्र सफेद हाथी और शो पीस सबित हो रहे है। जिन अधिकारियों के कंधों पर मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी है वे सब तमाशबीन बन बैठे है। रात 10 बजे के बाद में कोई भी कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात नही होते। नही नाकों पर कोई सीसी टीवी कैमरा लगा होता है। जो इन गाड़ियों को अपनी नजर में कैद कर सके। परिणाम स्वरूप बेधड़क धान के वाहन महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में परिवहन कर खपाए जा रहे है।

208
9320 views