"वीरों की शहादत को सलाम"
"वीरों की शहादत को सलाम"
(लेखक: धर्मदिप जलु)
लहू से जो सींचा वतन का चमन, उन शेरदिलों को सलाम करते हैं। पुलवामा की मिट्टी पुकारे उन्हें, हम अश्कों से उनका नाम लिखते हैं।
वो मां की दुआएं, वो बहनों की राखी, वो बच्चे, जो राहें निहारते रहे। वो सूरज-सा जलकर अमर हो गए, जो देश की खातिर निखरते रहे।
न झुकी थी कभी उनकी हिम्मत, न रुका था कभी उनका कारवां। वो धरती के बेटे अमर हो गए, हुआ फिर उजाला लहू का जहां।
शहादत तुम्हारी न होगी बेकार, हर दिल में बसेगी तुम्हारी गाथा। तिरंगा लहराएगा ऊंचा सदा, रहेगा अमर ये बलिदान का नाता।