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माघी पूर्णिमा दरभंगा में शांतिपूर्ण संपन्न

माघी पूर्णिमा
संपादकीय विशेष:
दरभंगा: गौसाघाट
प्राकृतिक पूजा:
माघी पूर्णिमा पर जहां एक तरफ अग्नि को साक्षी मानकर लोग नदी में स्नान कर अपने मनोकामना की प्राप्ति के लिए देवी देवताओं से प्रार्थना करते हैं, वही प्राकृतिक प्रेम भी उनके हृदय में उमरते देखा जाता है।
बिहार में जहां गंगा नदी में लोग उपासना करते हैं, वहीं मिथिला के क्षेत्र में कमला नदी में भी विशेष मान्यता लेकर पहुंचते हैं,कमला नदी में स्नान कर लोग कई तरह के वर मांगते हैं जैसे शादी एवं पुत्र/पुत्री जैसे रतन की प्राप्ति के लिए भी उपासना करते नजर आते हैं, वही आध्यात्मिक एवं भौतिक रूप में लोग ओझा, भगत जैसे मानताओ के सिद्धि के लिए भी उमरते हैं।
गांव के मेला:
माघी पूर्णिमा के अवसर पर जहां सुदूर देहात क्षेत्र जो ग्रामीण इलाको में आते हैं उन क्षेत्रों में नदी के तट पर बेहतरीन तरीके से ग्रामीण इलाकों को सजाया जाता है वही मेला के रूप में इस अवसर को सजाया जाता है जहां बच्चे श्याना एवं बुजुर्ग की भी भारी भीड़ उमरता हैं, बच्चे जहां झूले पर झूलते नजर आते हैं, वही बुजुर्ग अपने रोजमर्रा के कार्यों में उपयोग होने वाले वस्तुओं को खरीदते नज़र आते हैं, वही बुजुर्ग अपने मान्यताओं को पूर्ण करने में नजर आते हैं।
सांस्कृतिक रूप में:
सांस्कृतिक रूप से देखा जाए तो यह परंपरा पुरातन काल से चला आ रहा है जो प्राकृतिक प्रेम को जहां एक तरफ़ दर्शाता है, वहीं सामाजिक प्रेम को भी दर्शाता है, यह मान्यताएं एक रूप में देखा जाए तो जहां अध्यात्म से जोड़ता है, वही भौतिक रूप में जहां ग्रामीण क्षेत्र में कुछ सुविधा सालों भर व्यवस्थित नहीं रहने के कारण यह व्यवस्था लगभग इन मेला के माध्यम से पूर्ण होते देखा जाता है। वही युवा पीढ़ी को अपने संस्कृति की जानकारी भी सहज रूप में उपलब्ध होती हैं।
संभावना:
राज्य सरकार को इन क्षेत्रों को चिन्हित कर पर्यटन के लिए, इन क्षेत्रों को सौंदर्ययीकरण कर पर्यटक स्थल के रूप में चयन करना चाहिए।
अपने संस्कृति के साथ प्राकृतिक प्रेम को ध्यान में रखते हुए सफ़ाई का ध्यान भी रखना अनिवार्य होगा।

📷छाया चित्र सहयोग: अनिल कुमार,राज
गगन कुमार पासवान वरिष्ठ संवाददाता,
सत्य तक न्यूज कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड, हाजीपुर एक्सप्रेस24
✍🏻 लेखन: प्रवीण कुमार
AIMA मीडिया ज़िला उपाध्यक्ष दरभंगा

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