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वर्तमान समय में सबसे बड़ा उपकार...वन विस्तार !तभी होगा खुशहाल संसार!

वर्तमान समय में सबसे बड़ा उपकार ...बढ़ाना होगा वन विस्तार !

मानव जीवन का अस्तित्व इस धरती पर कब से है और कब तक रहेगा यह युगों युगों से एक रहस्य है और शायद रहस्य ही रहेगा यद्यपि वैज्ञानिक अनुसंधान और अध्ययनों ने काफी प्रयास किया है कि इस रहस्य को उजागर किया जाए परन्तु प्रकृति सर्वोच्च सत्ता है और उसके गूढ़ रहस्यों को शायद ही कभी भी समझ पाने की हैसियत मानव में विकसित हो पाए ।

आज जिस दौर से मानव पीढ़ी गुज़र रही है वह निस्संदेह ही चिंता और सोचने का गंभीर विषय है जिसमें बहुत से लोग और प्रकृति पुजारी, वैज्ञानिक और समाजसेवी अवश्य ही शामिल होंगे।
आधुनिकता के बढ़ते प्रभाव ने निस्संदेह मानव बुद्धि और संवेदना को चेतनाहीन कर दिया है । मानव इतना अहसानफरामोश और स्वार्थी हो गया है कि उसे अपनी सुख सुविधाओं के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है कि इस वसुंधरा को कैसे आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जाए ।
एक अध्ययन के अनुसार किसी भी क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन के लिए एक तिहाई भाग पर वन विस्तार होना चाहिए, परंतु वर्तमान परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए यह नाकाफी है क्योंकि बड़े पैमाने पर भौतिक और औद्योगिक विकास के कारण वातावरण में विषैले पदार्थ और हानिकारक रसायनों तथा दूषित गैसों के कारण पर्यावरण पर अत्यधिक बोझ पड़ रहा है।
आज आधुनिकता के नाम पर बड़े बड़े उद्योग , शहरीकरण, फैक्ट्रियों, औद्योगिक क्षेत्र के विस्तार की और वाहनों की बढ़ती संख्या के लिए सड़क सुविधाओं के विस्तारीकरण के लिए प्रकृति से किया जा रहा नासमझी से भरा हुआ खिलवाड़ निकट भविष्य में मानव पीढ़ी के लिए भयंकर साबित होकर रहेगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।

प्रतिदिन बढ़ती हुई आपदाओं , असमय वर्षा , भूस्खलन, बाढ़ की समस्या,बादल फटने की घटनाएं , भूमंडलीय तापमान में हो रही अप्रत्याशित वृद्धि हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी के जीवन को ख़तरे में डाल रहे हैं ।और मात्र पर्याप्त संख्या में पेड़ लगाकर ही हम ऐसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

सदियों से इस धरती पर पेड़ों का अतुलनीय योगदान रहा है और पेड़ों की पूजा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती रही है क्योंकि हमारे ऋषि मुनियों और मनीषियों ने धरा पर पेड़ों की आवश्यकता और महत्व को भलीभांति महसूस किया था ।
पेड़ न केवल धरती की सुंदरता और शोभा को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाने का कार्य करते हैं बल्कि मानव जीवन और सभी जीवधारियों के अस्तित्व के लिए उपयोगी और सबसे महत्वपूर्ण तत्व प्राणवायु का भी वातावरण में निष्पादन का दायित्व भी निभाते हैं ।

आज आधुनिकता के दौर में मानव पीढ़ी भौतिकवादी प्रवृत्ति के कारण सुख सुविधाओं के लिए इतनी आतुर हो रही है कि उसे इस बात का तनिक भी आभास नहीं है कि सभी सुख सुविधाओं से महत्वपूर्ण मानव जीवन और अस्तित्व है और इस अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सांस ही हमारी एकमात्र सहायक और जीवनी शक्ति है ।

आज आवश्यकता इस बात की है कि मानव जाति को पेड़ों के महत्व और संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए और उनमें पौधारोपण के लिए अभिरुचि का विकास किया जाए ,भले ही इसके लिए सरकार, प्रशासन और सरकारी विभागों और कर्मचारियों के दायित्व सुनिश्चित किए जाएं और उनकी अनुपालना के लिए आवश्यक मानदंड निर्धारित किए जाएं । जहां पर भी निर्माण कार्य किए जाएं और वनसंपदा को नष्ट किया जा रहा है वहां पर उसकी क्षतिपूर्ति हेतु कई गुणा अधिक पौधारोपण के नियम बनाएं जाएं और इसके लिए विशेष मानदंड निर्धारित किए जाएं

यहां यह बात भी ध्यान में रखने योग्य है कि धरा पर पेड़ों की अत्यधिक घटती संख्या का उन लोगों पर किंचित मात्र भी प्रभाव नहीं पड़ता जो कृत्रिम सुख सुविधाओं से लैस हैं परन्तु हम इस बात की भी कल्पना नहीं कर सकते कि प्रकृति का विनाश कर के हम मानव अस्तित्व को बनाए रखने में सफल हो सकेंगे ।

विश्व में ऐसे भी बहुत से क्षेत्र हैं जहां पर पेड़ों की भरमार है और ऐसे क्षेत्रों में भले ही लोग इस समस्या से अभी अछूते हों परन्तु हमें बात नहीं भूलनी चाहिए कि ऐसे क्षेत्रों की वनस्पति पर भी अत्यधिक बोझ पड़ रहा है जो कि निकट भविष्य में अवश्य ही परिलक्षित होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है ।

हमें यह बात हर हाल में समझ लेनी चाहिए कि इस धरा पर मानव जीवन और अस्तित्व को बनाए रखने में केवल और केवल पेड़ों का ही एकमात्र और अमूल्य योगदान है और पेड़ों की निरंतर घट रही संख्या मानव अस्तित्व के लिए भयंकर चुनौती साबित होगी , इसमें कोई संदेह नहीं है ।

आज के दौर में मानव जीवन के लिए आवश्यक जीवनी शक्ति और प्राणवायु के अभाव में अनेक प्रकार की शारीरिक और मानसिक व्याधियां निस्संदेह मानव जीवन को ख़तरे में डाल रहीं हैं भले ही हमें इसका अहसास और आभास हो या ना हो परन्तु देर सवेर प्रकृति भिन्न भिन्न रूपों में इसका अहसास करवा ही देती है।
आज वृक्षारोपण को सभी प्रकार के विकास कार्यों से अधिक महत्व देने की आवश्यकता है भले ही इसके लिए अन्य भौतिक विकास को दरकिनार और नजरंदाज करना पड़े क्योंकि सभी प्रकार की सुख सुविधाएं मानव जीवन के लिए हैं और मानव जीवन का अस्तित्व मात्र स्वस्थ शरीर, शुद्ध वातावरण और जीवनी शक्ति प्राणवायु से है जो किसी भी प्रकार की अन्य सुविधा से अधिक उपयोगी और महत्वपूर्ण है। यह हमारा दायित्व और सौभाग्य भी होगा कि हम अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और खुशहाल जीवन के लिए हरियाली और खुशहाली से भरा हुआ वातावरण देकर जाएं ।

विक्रम वर्मा
स्वतंत्र लेखक
चम्बा हि.प्र ।


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