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डोँकि वीजा.... हर देश के लिए खतरा......

डोंकी वीजा: एक गंभीर समस्या और इसका सच

हर साल उत्तर भारत से सैकड़ों लोग बेहतर भविष्य की तलाश में यूरोप की ओर रुख करते हैं। इनमें से कई युवा वैध वीजा प्रक्रिया के बजाय "डोंकी वीजा" के जरिए अवैध रूप से विदेश पहुंचने का रास्ता चुनते हैं। यह न केवल उनके जीवन के लिए खतरनाक साबित होता है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुँचता है।

डोंकी वीजा क्या है?

"डोंकी वीजा" एक बोलचाल की भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है अवैध रूप से किसी देश में घुसपैठ करना। इसमें मानव तस्करी के नेटवर्क के जरिए खतरनाक रास्तों से लोगों को सीमाओं के पार ले जाया जाता है। ये रास्ते जंगलों, पहाड़ों, रेगिस्तानों और कभी-कभी समुद्र के रास्ते होते हैं, जहां जीवन हमेशा खतरे में रहता है।
जब इन अवैध प्रवासियों को विदेशी सुरक्षा एजेंसियां पकड़ लेती हैं, तो उन्हें डिपोर्ट (वापस भेजा) कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया मानसिक और आर्थिक रूप से बेहद कठिन होती है क्योंकि व्यक्ति न केवल अपनी मेहनत की कमाई गंवा देता है, बल्कि अपने सपनों को भी टूटते हुए देखता है।
भारत में अक्सर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे दिया जाता है। चाहे वह किसी भी सरकार का समर्थन या विरोध हो, अवैध प्रवास का समर्थन करना किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। यह वैसा ही है जैसे भारत में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तान या बांग्लादेश के नागरिकों को बिना दस्तावेजों के पकड़ना। कानून हर देश में एक जैसा सख्त होता है, और इसका पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
आज के समय में पंजाब, हरियाणा, और हिमाचल के युवा भी विदेश जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
स्टडी वीजा का ट्रेंड: वैध तरीके से विदेश जाने के लिए सबसे लोकप्रिय विकल्प स्टडी वीजा है। युवा 20 से 30 लाख रुपये खर्च करके विदेश में पढ़ाई के लिए जाते हैं। हालांकि, इनमें से कई छात्रों को यह तक नहीं पता होता कि वे किस विषय में पढ़ाई कर रहे हैं और उनका भविष्य कैसा होगा।
पढ़ाई खत्म होने के बाद 40 से 60 घंटे काम करने की अनुमति होती है। अगर किस्मत और मेहनत साथ दे, तो स्थायी निवास (PR) के लिए आवेदन किया जा सकता है।
भारत में बेरोजगारी, खासकर छोटे व्यवसायों जैसे वेल्डिंग, कारपेंटर, प्लंबर जैसे कामों में कम आय, युवाओं को विदेश जाने के लिए मजबूर करती है। विदेशों में यही काम अधिक वेतन और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं।
भारत में छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं।
युवाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास के जरिए आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है ताकि वे विदेश जाने के बजाय अपने देश में ही सफल करियर बना सकें।
विदेश में बेहतर भविष्य की तलाश कोई गलत बात नहीं है, लेकिन यह यात्रा सुरक्षित और वैध होनी चाहिए। अवैध तरीके से विदेश जाना न केवल खतरनाक है बल्कि यह आपके परिवार और देश के लिए भी नुकसानदायक है। हमें समस्या के मूल कारण—बेरोजगारी और शिक्षा व्यवस्था—पर ध्यान देना चाहिए ताकि कोई भी युवा मजबूरी में डोंकी वीजा जैसा खतरनाक रास्ता न चुने।

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