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मानव मन को आनंद प्रदान करती हुई एक रमणीय गज़ल।।वो हमें देखकर मुस्कराते रहे,हम उन्हें देखकर गीत गाते रहे।

रेत पर बैठकर आज तस्वीर को,वो बनाते कभी फिर मिटाते रहे। चाहतें इस कदर बढ़ गई आप की,रात भर ख्वाब में आप आते रहे।हम तुम्हारे लिए तुम हमारे लिए, प्यार की हम कसम रोज खाते रहे।शाम रंगीन थी खूबसूरत समा, वादियों में उन्हें हम घुमाते रहे। दिल की बेताबियां खूब बढ़ने लगी,वो सिमटते रहे हम सताते रहे।जोश ही जोश में हम गले लग गये,आग दिल में लगी थी बुझाते रहे। क्या हंसी रात थी हाथ में हाथ थे, खूबसूरत गजल हम सुनाते रहे।ला पिला आज हमको जरा साकिया,कब तलक गम गले से लगाते रहें। चांदनी रात में बैठकर साथ में, दास्तां दिल की राही सुनाते रहें।।।।। धनेन्द्र कुमार मिश्र पत्रकार आल इंडिया मीडिया एसोसिएशन

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