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पीएम मोदी जी इधर भी सोचिए कोरोना टीके से पहले मातृशक्ति को बचाने हेतु हर व्यक्ति का हो मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण

केंद्र और प्रदेश के सरकारें दुनिया की आधी आबादी मातृशक्ति को बचाने और उनको स्वस्थ रखने तथा उनकी समस्याओं के समाधान के साथ ही उनकी शिक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि जब माता बहने और बेटियां जिंदा और सुरक्षित रहेंगी तभी तो इन सब योजनाओं का उन्हें लाभ मिलेगा। लेकिन इस ओर शायद कोई गंभीरता से नहीं सोच रहा है। हम वर्तमान में कोरोना महामारी से हर व्यक्ति को बचाने के लिए टीकाकरण अभियान चला रहे हैं। और कई स्वास्थ्य योजनाएं परवान चढ़ रही है। मगर जहां तक मुझे नजर आ रहा है कोरोना सहित तमाम बीमारियां से उन्हें बचाने और टीका लगवाने से भी जरूरी है कि सरकार देशभर में नागरिकों के मानसिक प्रशिक्षण की ऐसी मजबूत व्यवस्था करे जिससे साल में कम से कम एक बार हर व्यक्ति चाहे वह महिला हो या पुरूष बच्चे हो या बुजुर्ग सबकी कांउसिलिंग की जाए और जिन्हें मानसिक रूप से परेशानी नजर आए उन्हें अस्पताल में रखकर अथवा परिवार में रहते हुए दवाई आदि उपलब्ध कराते हुए समय समय पर उनसे वार्ता कर यह जायजा लेने के इंतजाम किए जाएं कि उनकी हालत में सुधार हो रहा है या नहीं।
हम साल में एक दिन मानसिक स्वस्थ दिवस मनाते हैं और हमारे डाॅक्टर भी इस संदर्भ में बड़ी बड़ी बाते शायद भी करते हैं। उनके बयान और फोटो छपते हैं तथा मीडिया में खूब प्रचारित होते हैं। लेकिन कोई भी डाॅक्टर यह घोषणा कभी नहीं करता कि उसके द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों की जो मानसिक रूप से परेशान लगते हैं उनकी निशुल्क काउंसिलिंग कर उन्हें दवाईयां मुफत में दी जाएंगी। सब बात कर अपनी जिम्मेदारियों की इतिश्रि कर लेते हैं।
वर्तमान समय में कोई पढ़ाई के चलते, पूरे खर्च लायक कमाई ना होने से तो कुछ पारिवारिक कलह के चलते कहीं बच्चों को लेकर ज्यादातर लोग किसी न किसी कारण से कम या ज्यादा मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं। और उनके निशुल्क इलाज की कोई व्यवस्था ना होने के चलते ही जहां तक मुझे लगता है कि समाज में लोग अपनी जान से भी ज्यादा प्यारे अपनों की हत्या और आत्महत्या करने तथा दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। क्योंकि यह पक्का है कि कोई भी स्वस्थ्य मानसिक वाला व्यक्ति ऐसा करने से पहले कई बार सोचता है जिससे परिवार की बर्बादी और उसका जीवन नर्क हो सकता हो। बीते दिनों दिल्ली निवासी एक मजदूर अपने ही तीन वर्षीय बच्ची को एटा में जमीन में गाड़ता हुआ पकड़ा गया तो जनपद बुलंदशहर के अनूपशहर थाना क्षेत्र के एक गांव में 12 वर्षीय बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने की घटना प्रकाश में आई। तो बुलंदशहर के ही शिकारपुर कोतवाली क्षेत्र मेें चरित्र पर शक होने के चलते पत्नी और दो बेटियों को हथौड़े के वार से परिवार के मुखिया द्वारा मार दिया गया। इसी प्रकार गुरूग्राम में एक विधवा औरत के साथ लिव इन रिलेशन में रह रहे डिलिवरी ब्याॅय द्वारा बेटा और बेटी को गंगनहर में फेंककर मार डाला गया। जिला कासगंज में एक ससुर ने पुत्रवधु के प्यार में अंधे होकर छपी खबर के अनुसार 16 माह के मासूम को नहर में फेंक दिया। आए दिन बाप ने बेटे और बेटे ने बाप को तथा पत्नी ने पति और पति ने पत्नी को मरवा देने की खबरें आती हैं। जो किसी भी स्वस्थ समाज में संभव नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, और स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्द्धन आदि से विचार विमर्श कर ऐसी ह्रदयविदारक समाज को हिलाकर रख देने वाली घटनाओं की पुनरावृति रोकने तथा कोई भी अपना अपनों को मारने की बात तो दूर सोच भी ना पाए। इस के लिए सभी का मानसिक स्वास्थ्य बना रहे इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए संयुक्त रूप से कुछ ऐसी व्यवस्था की जाए कि गांव गली से लेकर आदिवासी क्षेत्रों ओर मलिन बस्तियों में रहने वालों का साल में एक बार जरूर मानसिक जांच हो सके ऐसी व्यवस्था अनिवार्य रूप से की जाए। डेढ़ अरब की आबादी वाले देश में हर घर में हर व्यक्ति तक पहुंचना और उसकी जांच करना आसानी से संभव सा शायद ना हो इसलिए जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से गली मौहल्लों में प्रैक्टिस करने वालों और नर्सिंग होमों के डाॅक्टरों को निर्देश दिए जाएं कि वो अपने आसपास के लोगों की मानसिक स्वास्थ्य की जांच करे और इसकी सूचना सीएमओ को दी जाए और उसके हिसाब से जो लोग मानसिक रूप से बीमार पाए जाएं उनको निशुल्क दवाईयों और मनोरोग विशेषज्ञों से फ्री उपचार दिलाने की व्यवस्था की जाए। और वैसे भी जितनी भी हत्याएं ज्यादातर होती हैं उनमें महिलाओं की पुरूषों के मुकाबले अधिक नजर आती है। इसलिए बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के नारे के तहत उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए ऐसा करना ठीक नजर आता है।

– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com

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  • Mahesh Sharma

    अतिसुन्दर।