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*कुम्भ हादसे बड़ा सबक लेकर सबको सावधानी बरतने कि जरूरत है और सहयोगी बनकर एक दूसरे का साथ देते हुए आयोजन को सम्पन्न करें


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*व्यवस्था थी इसीलिए ये हादसा सीमित रहा वरना जितने लोग थे उस हिसाब से हानि की कल्पना ही भयावह है...*
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*ब्लॉक्स बनाकर अलग अलग जगह से एंट्री थी... ये दुर्घटना मात्र एक ही ब्लॉक तक सीमित रही...*
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*प्रशासन तो छोड़ो किसी को स्वप्न में भी आशा नहीं थी कि इतने लोग एक ही दिन में आ जाएंगे.. सबको मौनी अमावस को ही स्नान करना है.. समय भी निश्चित और स्थान भी... ऐसी मानसिकता के साथ अगर ढाई तीन करोड़ लोग एक साथ आ जाएँ तो आप स्वर्ग से किसी को उतार लो वो भी व्यवस्था नहीं कर सकता.... ऐसे आयोजन सरकार से ज़्यादा पब्लिक के अनुशासन से चलते हैं... शानदार व्यवस्था सरकार ने की है पर अंततः स्वानुशासन ही सर्वोपरी है...*
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*13 अखाड़ों के उन संतों को नमन जिन्होंने इस दुर्घटना के बाद स्वयं ही अपने अखाड़े का स्नान निरस्त कर दिया...*
*सभी मृतकों को माँ गंगा वैतरणी पार कराये... सभी घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना...*

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