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अज्ञात बुजुर्ग का पनाहगाह बना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुरा

*अज्ञात बुजुर्ग का पनाहगाह बना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुरा*


रामपुरा जालौन।अस्पतालों को वैसे ही जीवनदायिनी घर नही कहा जाता है यहां डॉक्टरों के द्वारा मरणासन्न मरीजों को भी दवा एवं अच्छी देखरेख के द्वारा जीवनदान देने की हर संभव कोशिश की जाती है।
अत्यधिक सर्दी के कारण सांस, दमा, उल्टी-दस्त, जुकाम-खांसी एवं बुखार के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है प्रतिदिन लगभग 100 से 150 मरीज अपना इलाज कराने रामपुरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आते हैं यहां की उत्तम स्वास्थ्य व्यवस्था, साफ-सफाई एवं डॉक्टरों की अच्छी देखरेख से संतुष्ट एवं स्वस्थ होकर खुशी से अपने घर जाते हैं।
इतनी व्यस्तता के वावजूद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुरा का स्टाफ समाज एवं मानवसेवा का कोई भी मौका हाथ से जाने नही देता है।
मानवसेवा सेवा का ऐसा ही उदाहरण विगत 15 दिनों से अस्पताल स्टाफ द्वारा निरंतर किया जा रहा है। रामपुरा अस्पताल की 108 एंबुलेंस को रास्ते में एक 80 बर्षीय बुजुर्ग पड़ा मिला जो सर्दी से ठिठुर रहा था एवं उसके सिर पर गहरी चोट भी थी। बुजुर्ग को एंबुलेंस कर्मचारी अस्पताल ले आए जहां डॉक्टरों ने बुजुर्ग का उपचार किया। इलाज के बाद बुजुर्ग से उनका घर-पता पूछा जिसे वो हर बार बदलकर बताते हैं 15 दिन से अभी तक बुजुर्ग के परिजनों ने उनकी सुध नहीं ली। 15 दिन से अस्पताल ही उनका घर बना हुआ है और अस्पताल का स्टाफ परिजनों की तरह बुजुर्ग का ख्याल रखकर उनके खाने पीने और ओढ़ने की व्यवस्था कर रहा है।

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