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चारौं तरफ काइपो छे काइपो छे की गूंज

14 जनवरी 2025: सूरत में उल्लास से मनाया गया पतंग कटे का त्यौहार

सूरत, गुजरात का वह शहर, जहां हर त्यौहार अपने अनोखे अंदाज़ और अद्भुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के अवसर पर सूरतवासियों ने पतंग कटे का त्यौहार पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया।

सुबह से ही शहर के आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों की बहार देखने को मिली। हर गली और मोहल्ले में 'वो काटा!' और 'लपेट लपेट!' की आवाज़ें गूंज रही थीं। बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं—हर उम्र के लोग इस त्यौहार में अपनी हिस्सेदारी निभा रहे थे।

त्यौहार का महत्व

मकर संक्रांति के अवसर पर पतंगबाजी सूरत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। यह दिन सूर्य देव को समर्पित होता है और इस अवसर पर पतंग उड़ाने का प्रचलन यह दर्शाता है कि हम अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ रहे हैं।

सुरक्षा और सावधानी

इस बार प्रशासन ने विशेष तौर पर पतंगबाजी के दौरान सुरक्षा के उपायों पर ज़ोर दिया। चाइनीज मांझे पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया, ताकि पक्षियों और लोगों को किसी तरह की चोट न पहुंचे। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन ने बिजली के तारों के पास पतंग उड़ाने से बचने की सलाह दी।



खास पकवान

त्यौहार का असली स्वाद सूरत के पारंपरिक व्यंजनों में दिखा। तिल-गुड़ के लड्डू, खिचड़ी, चक्की और अन्य मिठाइयों ने लोगों के उत्सव को और भी खास बना दिया।

संस्कृति और एकता का प्रतीक

सूरत में पतंग कटे का यह त्यौहार न केवल आनंद का जरिया है, बल्कि यह लोगों को एक-दूसरे के करीब लाने का माध्यम भी है। इस दिन हर कोई अपने सारे मतभेद भूलकर मिलजुल कर आसमान में रंग भरने का प्रयास करता है।

आज का दिन न केवल सूरतवासियों के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक विशेष यादगार दिन रहा। इस प्रकार, मकर संक्रांति के साथ पतंग कटे का त्यौहार पूरे उत्साह, ऊर्जा और उमंग के साथ संपन्न हुआ।

"वो काटा!" से गूंजता हुआ सूरत आज सच में एक रंगीन सपने जैसा दिखा।

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