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झारखंड राज्य का एकमात्र Homeopathic Medical College

"झारखंड सरकार" झारखंड का एकमात्र होम्योपैथिक कॉलेज पारसपानी ,गौड्डा अस्तित्व के आखिरी लड़ाई लड़ रहा है विभिन्न विभागों में चिट्ठी देने की बात कह कर समस्याओं को वैसे ही छोड़ दिया जाता हैं। अभी कॉलेज बंद होने के कगार पर है मेडिकल कॉलेज की आधारशिला 23 सितंबर 2002 को राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने किया था

42 शिक्षकों के जगह पिछले एक दशक से महाविद्यालय सिर्फ 6 से 7शिक्षकों के भरोसे चल रहा

इंटर्न हॉस्टल ना होने के कारण छात्रों को हर रोज 40 किमी सफर कर गोड्डा शहर से ड्यूटी करने आना पड़ता है। इस कारणवश कोई न कोई छात्र-छात्रा आए दिन सड़क दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं।

इंटर्नशिप कर रहे विद्यार्थियों को स्टाइपंड के नाम पर सिर्फ 10,000 महीना दिया जाता है जो की कॉलेज के बाहर कमरे ले कर रहने और प्रतिदिन कॉलेज आने जाने के लिए भी पर्याप्त नही है। और तो और विद्यार्थियों को स्टाइपंड के लिए महीनों इंतजार करना पड़ता है।

सभी विभागों के लैब में उपकरणों की भारी कमी हैं इस कारण विद्यार्थियों के प्रैक्टिकल कक्षाएं ठीक से नहीं हो पाती।

पूरे कॉलेज परिसर में आज तक स्वच्छ पेय जल की कोई व्यवस्था नही है।
परिसर में किसी आयोजन हेतु ना ही कोई ऑडिटोरियम है और ना ही छात्रों के खेल कूद हेतु कोई मैदान हैं।

कॉलेज परिसर में बिजली चले जाने पर कोई भी अन्य विकल्प मौजूद नहीं हैं, जिससे पूरा परिसर अंधकार में डूब जाता हैं और विद्यार्थियों को पढ़ाई में कठिनाइयां होती है

अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण कई विभाग सालों से बंद पड़े हैं।

अस्पताल में आने वाले मरोजों को ना ही दवा मिल पाती हैं और ना ही एक्स-रे, ख़ून जांच जैसे कोई व्यवस्था।

पूरे परिसर में एक भी एंबुलेंस मौजूद नहीं है जिससे ना सिर्फ़ अस्पताल में आने वाले मरीजों बल्कि विद्यार्थियों को भी इमरजेंसी में कठिनाइयां होती हैं। इसके लिए हम लोग पूरा कॉलेज आपका सदा आभारी बना रहेंगे आशीष रंजन

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