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रेत खदान बंद कराने चल रहे आंदोलन के समर्थन में पहुँचे पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, आंदोलनकारियों का बढ़ाया हौसला

-पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने मामले को विधानसभा में उठाने का दिया आश्वासन
धमतरी(छत्तीसगढ़)।
ग्राम करेली बड़ी के ग्रामीण रेत खदान बंद करने सप्ताह भर से आंदोलन कर रहें हैं। आज आठवें रोज आंदोलन कर रहें ग्रामीणों को समर्थन देने पूर्व मंत्री व कुरूद विधायक अजय चंद्राकर धरना स्थल पहुंचे और आंदोलनकारियों का हौसला बढ़ाया।

पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि आंदोलन में एकता की जरूरत है, शांति पूर्ण आंदोलन कर शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कर एक सूत्रीय मांग रेत खदान बन्द कराएं। ग्रामीणों की सफल मेहनत से परिणाम निकल आएगा। आंदोलन किसी एक व्यक्ति विशेष पर आधारित नही होता।

धरना स्थल में अपना समर्थन देते हुए कहा कि सफल आंदोलन का नियत समय और एक लक्ष्य होना चाहिए।आरोप प्रत्यारोपो से बचे। रेत के मामलों को लेकर कहा कि करेली बड़ी में रेत खदान बन्द करने जो मोर्चा खोला है वह काफी तारीफे लायक है। राज्य सरकार ने 325 से अधिक ऑक्शन प्रक्रिया से रेत घाटों की नीलामी की है।जिसमे अधिकांस दूसरे राज्यो के ठेकेदार को ही टेंडर दी है। उन्होंने करेली बड़ी आंदोलन को लेकर विधानसभा सत्र में बात उठाने की बात कहीं।

इस दौरान किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष वीरेंद्र साहू, मेघा मंडल अध्यक्ष होरीलाल साहू, पूर्व जनपद अध्यक्ष श्याम साहू, भूपेन्द्र चंद्राकर, जनपद सदस्य डागेश्वर सोनकर, ग्रामीण यादराम निषाद, कुशल कांत साहू, हुलेश सिन्हा, मिथलेश सिन्हा,जितेन्द्र कुमार, शेखू राम , हिम्मत राम, होरीलाल साहू, संतोष साहू सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।


अवैध परिवहन उत्खनन से ग्रामीणों में नाराजगी

ग्रामीणों में ठेकेदार की मनमानी का नतीजा है कि मशीन से नदियों को खुदाई किया गया है।15 फ़ीट से अधिक रेत निकाली गई है। इससे घाट तो नुकशान हुआ है साथ ही पर्यावरण का भी नुकशान पहुंचा है। ग्रामीणों का कहना है बरसात में जल स्तर अधिक होने से अक्सर बाढ़ की स्तिथि बन जाती है, इससे ग्रामीणों में भय सता रहा है कि अधिक गहराई खनन होने से बाढ़ गांव में आ सकती है।



रॉयल्टी नही होने पर कार्यवाही नही

रात भर रेत का अवैध परिवहन होता है, हाइवा वाहन भी पकड़ा गया किंतु रॉयल्टी नही होने के बावजूद गाड़ी पर कोई कार्यवाही ही नही करते। इससे ग्रामीणों में आक्रोश है। ठेकेदार की मनमानी के चलते ग्रामीण लामबंद होकर रेत खदान बन्द कराने आंदोलन छेड़ दिया है।


जेसीबी पर नही हुई कार्यवाही

आंदोलनकारियों समेत ग्रामीणों ने बताया कि जिस चैन माउंटेन मशीन से उत्खनन हो रहा था। वह घाट के किनारे पड़ा हुआ था। अधिकारियों ने भी मशीन को देखा किंतु कार्यवाही नही किया इससे ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

महिलाओं का मिल रहा आंदोलन में जबरदस्त समर्थन

रेत खदान बन्द कराने प्रशासन के खिलाफ ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है।इसमे महिलाओं का जबरदस्त भागीदारी है।महिलाओ द्वारा प्रशासन को कोसते हुए रेत खदान बन्द कराने नारेबाजी की जा रही है।रेत खदान धरना स्थल में देश भक्ति और भजन गीत गाकर आंदोलन को एकजुटता दे रही है।तो दूसरे तरह जिला प्रशासन की सदबुद्धि के लिए हवन पूजन भी कर रहा है।

एनजीटी के नियमो की उड़ाई धज्जियां

ग्रामीणों ने बताया कि महानदी का सीना छलनी कर रेत उत्खनन मशीन से किया जा रहा था जो एनजीटी के नियमो के खिलाफ है। ओवर लोडिंग,बिना रॉयल्टी, अवैध परिवहन जैसे अवैध कार्य रेत खदान में हुआ है।मशीनों से होने से मजदूरो को काम ही नही मिल पा रहा था। ऐसे में ठेकेदार की मनमर्जी से रेत का दोहन करने से ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।

26 फरवरी को ग्राम के सरपंच ,पंच एवं ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष ने एसपी ऑफिस पहुँचकर आंदोलन को समर्थन नहीं देने आवेदन सौपा गया था। जिससे  गांव में तरह -तरह की चर्चा हो रही है। आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक रेत खदान बन्द नही होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

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