
डीएसपी सूरज चावला बोले साइबर शातिरों से रहें सतर्क, साइबर ठगों के शिकार होने पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर करें सम्पर्क
नारायणगढ़, डीएसपी सूरज चावला ने कहा कि देश में आये दिन डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट करके लोगों से ठगी की जाती है। डिजिटल अरेस्ट से बचना एक मुश्किल काम है लेकिन यदि आप थोड़े भी सजग हैं और जागरूक हैं तो साइबर ठग आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते डीएसपी सूरज चावला जिन्होंने नारायणगढ़ के डीएसपी का पदभार अभी हाल ही में सम्भाला है, इससे पहले वे स्टेट क्राइम हरियाणा में डीएसपी के पद पर तैनात रहे है। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट के बारे में बताते हुए इससे एक जागरूक नागरिक कैसे बच सकता है, इसके बारे में जानकारी दी
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते रहते हैं
कैसे होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत?
डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। कहते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं।
इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती। इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
डिजिटल अरेस्ट से बचने का रास्ता क्या है?
डिजिटल अरेस्ट से बचने का आसान रास्ता जानकारी है। इसकी शुरुआत ही आपके डर के साथ होती है। ऐसे में यदि आपके पास भी इस तरह की धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है। कोई कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें, क्योंकि यदि आपने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं है तो फिर डरने की जरूरत नहीं है।
ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें। यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें। यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और शिकायत करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें। उन्होंने यह भी कहा कि अनजान वीडियो वाटस अप काल रिसिव न करें।
-साइबर क्राईम के प्रति सचेत रह कर बचा जा सकता है-डीएसपी सूरज चावला
उन्होने नागरिको को साइबर क्राईम के प्रति सचेत करते हुए कहा है कि सावधानी रख कर साइबर शातिरों की ठगी से बचा जा सकता है। अगर आप साइबर ठगों के शिकार बन गए है तो इसकी शिकायत 1930 हेल्पलाइन नंबर पर करें। इस नंबर को डायल कर पीडि़त अपने साथ हुए फ्राड की शिकायत दर्ज करा सकते है। हेल्पलाइन नंबर-1930 पर आन लाइन उत्पीडन या साइबर वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना मिलने पर तुंरत कार्रवाई की जाती है।
पिछले कुछ सालों से लोगों में ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते क्रेज के कारण अक्सर लोग सोशल मीडिया पर बंपर डिस्काउंट, लॉटरी या फिर इनामी विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं। ऐसे में पहले यह सुनिश्चित कर लें कि इस्तेमाल की जा रही वेबसाइट सुरक्षित है या नहीं।
यदि फिर भी किन्ही कारणों से आपके साथ किसी प्रकार की साइबर धोखाधड़ी होती है तो आप सबसे पहले हेल्पनाइन नंबर 1930 डायल करें और अपनी शिकायत को साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज करें। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे साइबर अपराधों से सावधान रहें और अपने परिवार के सदस्यों को भी जागरूक करें। उन्होंने नागरिकों को ऐसे साइबर ठगों से सतर्क रहने का आग्रह करते हुए बताया कि साइबर क्राइम करने वाले ठग नये-नये तरीकों से लोगों को ठगने में लगे हैं। पुलिस द्वारा ऐसे स्कैमर्स के जाल में न फंसने की सलाह देकर नागरिकों से सतर्क रहने की लगातार अपील की जाती रही है।
साइबर धोखाधड़ी जैसे अपराध की रिपोर्ट करने के लिए पुलिस स्टेशन जाकर एफआईआर भी दर्ज करवा सकते है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों की जितनी जल्दी सूचना दी जाए, उतना ही बढिया ताकि आगे की ट्रांजेक्शन को रोकने के लिए पीडि़त को त्वरित सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने कहा कि पीडि़त व्यक्ति साइबरक्राइम की वेबसाइट http://www.cybercrime.gov.in पर भी अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। डीएसपी ने ऐसे जालसाजों से बेहद सावधान रहने का सुझाव देते हुए कहा कि जब तक वे व्यक्ति या संगठन को अच्छी तरह से नहीं जानते, तब तक अपनी व्यक्तिगत जानकारी या फोन नंबर साझा न करें। अनौपचारिक स्रोतों से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने से बचें। साथ ही अवांछित टेक्सट के जवाब में या संदेश से जुड़ी वेबसाइट पर व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी प्रदान करने से बचें। इसके अतिरिक्त, संदेहास्पद टेक्स्ट वाले लिंक पर क्लिक करने से भी बचना चाहिए
डीएसपी सूरज चावला