
भारत पोल पोर्टल आने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलेगी मदद
वांछित अपराधियों पर ऐसे कसा जाता है शिकंजा
बता दें कि विदेश में छिपे देश के वांछित अपराधियों को ढूंढने के लिए इंटरपोल नोटिस जारी करता है. भारत में सीबीआई इंटरपोल की इकाई के रूप में काम करती है. जिसके चलते सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय एजेंसियों को देश के वांछित अपराधियों को ढूंढने के लिए सीबीआई के जरिए ही इटरपोल तक पहुंचना होता है.केंद्र की मोदी सरकार अब विदेशों में छिपे बैठे भगोड़ों पर शिकंजा कसने जा रही है. जिसके लिए 'भारतपोल' पोर्टल तैयार किया गया है. सीबीआई द्वारा तैयार किए गए इस पोर्टल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज (7 जनवरी) लॉन्च करेंगे. इसके साथ ही भगोड़ों के खिलाफ कार्रवाई में तेजी आएगी. 'भारतपोल' पोर्टल के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों के बीच विदेश में बैठे अपराधियों को ढूंढकर लाने की कार्रवाई की रियल टाइम जानकारी शेयर की जा सकेगी.ईमेल, लेटर और फैक्स की होगी छुट्टी
इसके साथ ही केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए समन्वय इंटरपोल लाइजन आफिसर के जरिए किया जाता है. जो अपने-अपने संगठनों में पुलिस अधीक्षकों, पुलिस आयुक्तों और शाखा प्रमुखों से जुड़े होते हैं. फिलहाल सीबीआई, आइएलओ और यूनिट ऑफिसर्स के बीच बातचीत करने का मुख्य माध्यम पत्र, ईमेल और फैक्स ही है. लेकिन इस पोर्टल के आ जाने से इनकी छुट्टी हो जाएगी.अंतरराष्ट्रीय अपराधियों की आसानी से मिलेगी जानकारी
'भारतपोल' पोर्टल के आने से अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए सभी अनुरोधों पर कार्रवाई को सुनिश्चित और व्यवस्थित किया जा सकेगा. इनमें रेड कार्नर और अन्य रंगों के इंटरपोल नोटिस जारी करना भी शामिल होगा. इसके साथ ही इंटरनेशनल मदद तक आसान और पहुंच तेजी होगी. साथ ही विदेशी अपराधियों से निपटने में भी मदद मिलेगी.जानें कब और क्यों की गई इंटरपोल की स्थापना
बता दें कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद इंटरपोल की जरूरत पड़ी. क्योंकि विश्व युद्ध के बाद यूरोप में अपराध तेजी से बढ़ने लगे और अपराधी एक देश में अपराध कर दूसरे देश में छिपने लगे. जो हर देश की सरकारों के लिए चुनौती बनने लगा. इसके बाद 20 देशों ने मिलकर इंटरपोल की स्थापना की.
जिससे अपराधियों से मुकाबला किया जा सके और उन्हें दूसरे देशों से वापस लाया जा सके. इंटरपोल की स्थापना 7 सितंबर 1923 को ऑस्ट्रिया के विएना में हुई. लेकिन तब इंटरपोल को इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस कमीशन के नाम से जाना जाता था. लेकिन 1956 में इसका नाम बदलकर इंटरपोल यानी इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गनाइजेशन कर दिया गया.