सारंडा के ग्राम बहदा में धर्म परिवर्तन से क्षेत्र में तनाव, ग्रामीणों ने किया विरोध
सारंडा के ग्राम बहदा में धर्म परिवर्तन से क्षेत्र में तनाव, ग्रामीणों ने किया विरोध
मनोहरपुर : पश्चिम सिंहभूम के नक्सल प्रभावित सारंडा के छोटानागरा थाना अंतर्गत बहदा गांव में "हो" आदिवासी समुदाय के 9 परिवारों द्वारा धर्म परिवर्तन कर दूसरे धर्म अपनाने के बाद क्षेत्र में तनाव का माहौल बन गया है. इन परिवारों द्वारा गांव में नए मकान न
बनाए जाने से स्थानीय ग्रामीणों ने इसका कड़ा विरोध जताया है. इस घटना से स्थानीय लोगों के बीच माहौल तनावपूर्ण है.
घटना को लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है - मुंडा रोया सिधु
गांव के मुंडा रोया सिधु ने इस विवाद को सही बताते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन करने वाले परिवार गांव में घर बनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों ने घर निर्माण का कार्य रोक दिया है. उनका कहना है कि यह मामला अब छोटानागरा थाना पुलिस के संज्ञान में है. ग्रामीणों ने अंचलाधिकारी से भी अनुरोध किया है कि जब तक इस विवाद का हल नहीं निकलता, तब तक गांव में कोई नया निर्माण कार्य नहीं किया जाए.
ग्रामीणों ने स्थायी निवासी होने पर उठाया सवाल:-
वहीं गांव के मुंडा रोया सिधु ने इन परिवारों की स्थायीत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये लोग बहदा गांव के मूल निवासी नहीं हैं, बल्कि पास के कुमडीह के रोगड़ा इन्क्रोचमेंट गांव में वर्षों से रह रहे हैं. इस पूरी गतिविधि का मास्टरमाइंड सोमरा चाम्पिया हैं. जो अपनी परंपरागत आदिवासी मूल धर्म से अन्य धर्म में परिवर्तन करने के कारण वे अन्य लोगो को भी दूसरे धर्म से जोड़ने में सक्रिय है.
उनपर फर्जी हस्ताक्षर और मुहर का आरोप:-
मुंडा रोया सिधु ने आरोप लगाया कि सोमरा चाम्पिया ने गांव के मुंडाओं की फर्जी मुहर बनाकर और उस पर फर्जी हस्ताक्षर कर उनका दुरुपयोग किया है. उन्होंने प्रशासन से सोमरा और अन्य आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर सामूहिक रूप से मांग उठाई है:-
गांव के लोग इस बात पर एकजुट हैं कि धर्म परिवर्तन करने वालों को बहदा गांव में नया घर बनाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. ग्रामीणों का कहना है कि यह मामला उनके पारंपरिक आदिवासी अधिकारों और रीति- रिवाजों के विरुद्ध है.
ग्रामीणों ने इन नौ परिवारों पर लगाया आरोप:-
इस मामले में शामिल 9 परिवारों के नाम सोमरा चाम्पिया, दुला चाम्पिया, बीनु चाम्पिया, डुमु चाम्पिया, मंदु गागराई, लखन चाम्पिया, कारो चाम्पिया (दो अलग-अलग) और लांसाय चाम्पिया बताए गए हैं. ग्रामीणों ने इन पर धर्म परिवर्तन और गांव के आदिवासी संस्कृति व परंपरागत नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है.
ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासन से कार्रवाई की मांग:-
ग्रामीणों की मांग है कि पुलिस और प्रशासन इस विवाद को गंभीरता से लें और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले का समाधान जल्द नहीं हुआ तो यह विवाद और गंभीर रूप ले सकता है।
विदित हो की इस घटना से सारंडा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में धर्म, संस्कृति और अधिकारों को लेकर विवाद गहरा गया है . समय रहते प्रशासन के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाएं और क्षेत्र में स्थिरता का माहौल क़ायम करें.