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बीवीपी उत्कर्ष शाखा मेरठ द्वारा निर्धन कन्या विवाह

विवाह भारतीय जीवन पद्धति में 16 प्रमुख संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। परंपरा के अनुसार नया जीवन प्रारंभ करने हेतु कन्या को गहने, बर्तन, बिस्तर, कपड़े आदि दिए जाते हैं जिसे आम भाषा में दाज, दहेज कहते हैं। वर पक्ष के लोग वधू के लिए गहने व कपड़े बनवाते हैं, जिसे वरी कहते हैं। इस दाज वरी के पीछे हमारी संस्कृति की मूल भावना है कन्यादान तथा उसके नए जीवन हेतु शुभकामनाएं तथा आशीर्वाद।
भारत विकास परिषद द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सामूहिक सरल विवाह संपन्न कराए जाते हैं। समाज के निर्धन परिवारों की कन्याओं का विवाह सरल हो एवं दुल्हन ही दहेज है यही मूल भावना है इस प्रकल्प की। संपन्न परिवारों में भी सरल विवाह का संदेश भेजा जाए जिससे दहेज का लेनदेन कम हो सके। परिषद की यह भी सोच है कि भारतीय जीवन में शुचिता हो, परिवार संस्कारित हों, बालक बालिकाएं चरित्रवान एवं देशभक्त बने एवं अच्छे नागरिक बनकर भारत का विकास करें।
सामूहिक सरल विवाह प्रकल्प का यही एकमात्र उद्देश्य है।
उत्कर्ष शाखा मेरठ द्वारा तीन जरूरतमंद कन्याओं का सामूहिक सरल विवाह मेरठ के मंगलम विवाह गृह में धूम धाम के साथ संपन्न कराया गया |

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