
बाबू जी के सपनो को साकार कर रहे संजय, सम्पूर्ण विधानसभा व जिला नये वर्ष मे होते है एकजुट*
विजयराघवगढ़ विधानसभा अंतर्गत बाबू जी की बिरुहली एक ऐसा पर्यटक है यहा हरियाली अपनी सुन्दरता बिखेरती जहा शेर हाथी समय समय पर भ्रमण करते रहते नदियों की मधुर धुन सुनने विदेशी महमान आते रहते हैं। इन सुन्दर वादियो मे कब समय निकल जाता है पता ही नही चलता यह बाबू जी (पं सत्येंद्र पाठक) की बिरुहली है। बाबू जी का सपना था इस बिरुहली मे कम से कम वर्ष मे एक बार सभी एक जुट हो सभी मे भाईचारे का संचार हो सभी एक दूसरे का स्नेह प्रेम परोस सके। इस परम्परा को बाबू जी कुछ समय तक ही निभा पाए किन्तु बाबू जी के न रहने के बाद भी इस प्रथा को संजय सत्येंद्र पाठक ने बडी ही भव्यता और विशालता के साथ निभाना प्रारम्भ किया संजय सत्येंद्र पाठक ने विरासत मे मिले बाबू जी के आशिर्वाद को सुरक्षित ही नही किया बल्कि उसे एतिहासिक धरोहर के रुप मे विशाल स्वरूप दिया। आज इस बिरुहली मे सिर्फ विजयराघवगढ़ विधानसभा ही नही बल्कि कई जिलो के लोगों को संजय सत्येंद्र पाठक द्वारा नये वर्ष पर आमंत्रित कर एक जुट किया जाता है प्रत्येक व्यक्ति की आवभगत के साथ स्नेह प्रेम के साथ भोजन परोसा जाता है। सुन्दरता बिखेर रही बिरुहली मे वादियों के आनंद के साथ अपने पन का निवाला खिलाया जाता है। नये वर्ष पर भोजन कराना बाबू जी का सपना नही भोजन तो एक बहाना था एक जुट होकर भाईचारे के साथ सभी रहे यही सोच के साथ यह परम्परा की निव रखी गयी थी जो निरंतर चल रही है।
मनोज पान्डेय कटनी
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