
गंगा जमुनी तहज़ीब को उल्लेखित एवं प्रदर्शित करती है नादिर राणा की नई पुस्तक फूलों का गुलदस्ता
जनपद मुजफ्फरनगर के लेखक नादिर राणा जब भी कुछ लिखते हैं तो उनका प्रयास हमेशा सार्थक और प्रभावी ही होता है, उन्होंने जब-जब अपनी कलम चलाई है तब तब एक नई पुस्तक नई लेखनी हमारे सामने आई है, उनकी नई पुस्तक "फूलों का गुलदस्ता" भी आजकल जबरदस्त चर्चाओं में है और चर्चा में हो भी क्यों ना! उन्होंने समाज के उन फूलों को एक गुलदस्ते में संजो कर हमारे सामने लाने का प्रयास किया है जिनके एक साथ बैठने मिलने और सौहार्द की बातें करने की हम कल्पना करते आए हैं, जब ऐसा मंच सजता है तैयार होता है तो दिल को सुकून मिलता है, खुशी की बात है कि लेखक नादिर राणा ने फूलों का गुलदस्ता जैसी महफिल सजाई और उसे महफिल में उस पुस्तक का विमोचन हुआ जिसमें सभी धर्म के सम्मानित और आदरणीय धर्मगुरु शामिल किए गए थे, जिन्होंने समाज में धर्म-कर्म के साथ समाज सेवा, मानव हित, सद्भावना सौहार्द के लिए काम किया । नादिर राणा का यह प्रयास बहुत ही प्रशंसनीय कहा जा सकता है। आज जबकि समाज को, इस राष्ट्र को आपसी एकता और भाईचारे की सख्त जरूरत है तो ऐसे में उनकी यह किताब काफी अहम और मायने रखती है, उन्होंने अपनी इस पुस्तक में चुनिंदा सम्मानित धर्म गुरुओं को एक लेखनी के रूप में पिरोकर, हमारे सामने उनके कामों को, उनके व्यक्तित्व को लाने का प्रयास किया है। हमें उनके बारे में काफी जानकारी उपलब्ध कराई गई है जिससे पता चलता है कि समाज में सभी धर्म वर्ग के सम्मानित धर्मगुरु किस प्रकार अपने विशेष एवं उल्लेखनीय योगदान से समाज का हित करने में लगे हुए हैं, हालांकि उनके कार्य जग जाहिर हैं लेकिन फिर भी सभी धर्म वर्ग के लोगों को एक साथ "फूलों का गुलदस्ता" पुस्तक में समेट कर पाठकों के सम्मुख लाने का काम लेखक नादिर राणा द्वारा बखूबी किया गया है। हमेशा की तरह उन्होंने इस बार भी समाज की एकजुटता, भाईचारे को केंद्रित करके यह किताब लिखी है। मैं उनको इस पुस्तक के लिए बधाई संप्रेषित करता हूं, उनके जज्बे को सलाम करता हूं और उनकी सोच की कद्र करते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं और आशा करता हूं कि यह पुस्तक समाज में एक सकारात्मक संदेश देने में पूरी तरीके से सफल रहेगी । *( भरतवीर सिंह प्रजापति पत्रकार, समीक्षक मुज़फ्फरनगर। )*