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ग्राम पंचयात कोडर मे भ्रष्टाचार का अमरबेल बना रोजगार सहायक ........



रोजगार सहायक कोड़ार पंचायत के लिए बना भ्रष्टाचार का अमरबेल.......
दयाशंकर शुक्ला /उमरिया। ग्राम पंचायत कोड़ार में हुए भ्रष्टाचार से पर्दा उठाने के लिए जांच तो कई बार हुई, लेकिन जांच का नतीजा सिफर रहा। यही नहीं ताबूद में बंद भ्रष्टाचार के जिन को निकलने से रोकने के लिए जनपद स्तर के करिन्दों ने पंचायत के करिन्दों से सांठ-गांठ कर मामला ही दफना दिया। वहीं जिस रोजगार के कारनामे गांव में ख्याति प्राप्त किये है, वह आज भी मजे के साथ अपनी संविदा की चाकरी निभा रहा है, नियमतः जिसकी सेवा समाप्त होनी चाहिए, उसे आगे भ्रष्टाचार करने के लिए खुला संरक्षण दे दिया गया है।

कोड़ार में रोसा ने काटी चांदी -

आवास से शौचालय और लाखों के निर्माण कार्य में सबसे ज्यादा अगर हिस्सेदारी रही है, तो वह ग्राम रोजगार सहायक राकेश यादव की बताई जा रही है। स्थानीय ग्रामीण होने का भरपूर फ़ायदा उठाते हुए राकेश यादव ने आवास में सीधे हितग्राहियों से एडवांस के तौर पर हिस्सा तय किया, तब जाकर कहीं किसी गरीब को छत नसीब हुई है। यही नहीं सूत्रों के मुताबिक जिस किसी ने कमीशन समय से दिया, उसके शौचालय में दरवाजा भी जल्दी ही लगवाया गया, लेकिन इन सब कारनामों पर कमीशन की बांटजोह रहे वरिष्ठों ने पर्दा डाल दिया।

सरोवर का अमृत निगल गया रोसा -

पंचायत में अमृत सरोवर को एक अयाब नमूना बना दिया गया है, वैसे भी इसका गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य धरातल पर जाने से अपनी हकीकत बयां तो करता ही है, साथ ही इसे नियम विरुद्ध बनाते हुए लाखों की राशि आहरित कर ली गई, इसमें रणनीतिकार ग्राम रोजगार सहायक ही रहे हैं, जिस पर लाखों रूपये खर्च तो शासन के हुए लेकिन राशि शासकीय करिन्दों के जेबों में पहुंची।

भूमि संरक्षण से बन चुका था तालाब -

जहां अमृत सरोवर तालाब का निर्माण कराया गया है, उक्त स्थान पर पहले से ही भूमि संरक्षण विभाग द्वारा तालाब निर्मित करा दिया गया था, लेकिन सरकार के लाखों रुपये के बंदरबांट करने की जुगत में उसी भूमि संरक्षण विभाग द्वारा बनाए गए तालाब पर अमृत सरोवर का मुहर लगा कर कोड़ार पंचायत ने अपना नाम रोशन कर दिया, जबकि यदि किसी और स्थान का चयन किया गया होता, तो शायद सरकार की इस योजना अमृत सरोवर का उद्देश्य बखूबी पूरा हो सकता था, लेकिन शासकीय करिन्दों को सरकार और नागरिकों से ज्यादा किफ़ायती अपने उद्देश्यों की चिंता थी, जिस पर पंचायत के करिन्दों ने सतत अपने विकास को नए रूप में गढ़ दिया।

जिम्मेदारों से आस होगी जांच -

शिकायतें तो रद्दी की फाइल में धूल हांक रही है, और आदेश का कहीं दूर-दूर तक पता नहीं, लेकिन रोजगार सहायक, उपयंत्री सहित ने जो मलाई खाई है, उसमें अब निष्पक्ष जांच का और उसके बाद कार्यवाही से ही सरकारी खजाने की चोंट को मलहम लगाया जा सकता है, लेकिन इस जांच की आस अब कहीं दूर तलक लोगों को नहीं दिख रही,बावजूद उसके लोग जिला प्रशासन से आस लगाए हैं, की विकास के नाम पर जिन शासकीय करिन्दों ने अपनी तिजोरी भरी उन पर कार्यवाही होनी चाहिए। तय स्टीमेट को ताक में रखकर ग्राम पंचायत के निर्माण कार्यों की जांच से पंचायत में हुए कारनामों की कलई खुलकर सामने आ जायेगी।

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