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जानिए खजुराहो मंदिर का इतिहास पुरातत्व विभाग की खास रिपोर्ट। rudraksh24

नमस्कार दोस्तों इतिहास हर चीज को दर्शाता है इतिहास एक रहस्य को दर्शाता है इतिहास हमें बताता है कि हमारे प्राचीन काल में क्या हुआ कैसे कब हुआ क्यों हुआ इन तमाम प्रश्नों की जानकारी हमें इतिहास देता है। लेकिन क्या आपको पता है कि खजुराहो मध्य प्रदेश में स्थित है। खजुराहो के मंदिरों का क्या रहस्य है जी हां दोस्तों यह मंदिर पुरातन सभ्यता से सहयोग। रखते हैं जी हां दोस्तों एक पुरातन सभ्यता से अपना संबंध रखते हैं की मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में शानदार मुड़े हुए पथरो के मंदिरों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध माना जाता है । भारत के अलावा पूरी दुनिया भर के आगंतुक और पर्यटक प्रेम के आकृति में सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते हैं हिंदू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में तीर्थ किया था जी हां दोस्तों संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिर में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है सेक्स ना तो संपूर्ण है और ना ही यह अस्वीकार्य है यह ना तो पाप है और ना ही पुण्य से संबंधित जैसा माना जाता रहा है यह एक सामान्य कृत्य है लेकिन प्रतिबंध होने के कारण यह समाज के केंद्र में आ गया है पशुओं में सेक्स प्रवृत्ति समान होती है जबकि मानव निर्मित पर चढ़ा रखा है कामसूत्र एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है लेकिन मनुष्य ने उसे आ स्वाभाविक बना दिया है हम आपको बताएंगे कि विश्व धरोहर में शामिल है खजुराहो के मंदिर जी हां दोस्तों खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह काम कला के आसनों में दर्शाए गए स्त्री पुरुषों के चेहरे पर एक अलौकिक और देवी आनंद की आभा जल आकृति है इसमें जरा भी अश्लीलता या भौंडे पन का आभास नहीं होता है । यह मंदिर और उनकी मूर्ति से भारतीय स्थापत्य और कला की अमूल्य धरोहर है। इन मंदिरों की इस भव्यता सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए ही इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया ए खजुराहो का सबसे विशाल तथा विकसित शैली का मंदिर है 117 फीट ऊंचा लगभग इतना ही लंबा तथा 66 फीट चौड़ाई मंदिर सप्तरत शैली में बना है हालांकि इसके चारों ओर उप मंदिर सदियों पूर्व अपना अस्तित्व खो चुके थे विशालतम मंदिर की ब्रह्म दीवारों पर कुल 646 मूर्तियां है तो अंदर भी 226 मूर्तियां स्थित है ।इतनी मूर्तियां शायद अन्य किसी मंदिर में पाई जाती है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है मंदिर की बनावट और अलंकरण भी अत्यंत वैभवशाली है कंदारिया महादेव मंदिर का प्रवेश द्वार से 9 शाखाओं से युक्त है।।
जी हां दोस्तों जिन पर कमल पुष्प नृत्य मग्न अप्सराएं तथा व्याल आदि बने हुए हैं सरदर पर शिव की चार मुखी प्रतिमा बनी है इसके पास ही ब्रह्मा एवं विष्णु भी विराजमान है गर्व ग्रह में विशाल संगमरमर का शिवलिंग स्थापित है ।।मंडप की छतों पर भी पाषाण कला के सुंदर चित्र देखे जा सकते हैं मोहम्मद गजनबी को परास्त करने के बाद निर्माण इस मंदिर का निर्माण राजा विद्याधर ने मोहम्मद गजनबी को दूसरी बार परास्त करने के बाद सन् 1065 ईस्वी के आसपास करवाया था ।। ब्रह्मा दीवारों पर सुरसुंदरी नर किन्नर देवी देवताओं व प्रेमी युगल आज सुंदर रुप में अंकित किए गया है। मध्य की दीवारों पर कुछ अनोखे महत्वपूर्ण मैथुन दृश्य चित्रित है । एक स्थान पर ऊपर के नीचे की ओर एक क्रम में बनी तीन मूर्तियां कामसूत्र में वर्णित एक सिद्धांत की अनुकृति कही जाती है इसमें मिथुन क्रिया के आरंभ में आलिंगन हुआ चुंबन के जरिए पूर्ण उत्तेजना प्राप्त करने का महत्व दर्शाया गया है खजुराहो का इतिहास लगभग 1000 साल पुराना है उसे समय यह चंदेल राजाओं का विशाल शहर और उनकी प्रथम राजधानी हुआ करता था चंदेल वंश और खजुराहो के संस्थापक चंद्र बर्मन थे चंदेल मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे वे अपने आप को चंद्रवंशी मानते थे ।चंदेल राजाओं ने 10वी से 12वीं शताब्दी तक मध्य भारत में शासन किया खजुराहो के मंदिर का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच किन्हीं चंदेल राजाओं द्वारा किया गया था। मंदिरों के निर्माण के बाद चंदेलों ने अपनी राजधानी महोबा स्थानांतरित कर दी जिसके बाद खजुराहो का महत्व बना रहा चंद्रवरदाई ने किया है उल्लेख इस बात का की मध्यकाल के दरबारी कवि चंद्रवरदाई ने पृथ्वीराज रासो के महोबा खंड में चंदेलों की उत्पत्ति का वर्णन किया है।। उन्होंने कहा है लिखा है। कि काशी के राजकीय पंडित की पुत्री हेमवती अपूर्व सौंदर्य स्वाभिमानी थी एक दिन में गर्मियों की रात में कमल पुष्पों से भरे हुए तालाब में स्नान कर रही थी उनकी सुंदरता देखकर भगवान चंद्र उन पर मोहित हो गए। वे मानव रूप धारण कर पृथ्वी पर आ गए और हेमवती का हरण कर लिया दुर्भाग्य से विधवा और एक बच्चे की मां थी उन्होंने चंद्रदेव पर अपना जीवन नष्ट करने और चरित्र हरण का आरोप लगा दिया कहते हैं कि अपनी गलती के पश्चाताप के लिए चंद्रदेव ने हेमवती को वचन दे दिया कि वह एक वीर पुत्र की मां बनेगी चंद्रदेव ने कहा कि वह अपने पुत्र को खजूर पूरा ले जाए उन्होंने कहा कि वह एक महान राजा बनेगा राजा बनने पर वह बाघ और झीलों से घिरे हुए अनेक मंदिरों का निर्माण कराएगा चंद्र देव ने हेमवती से कहा कि राजा बनने पर तुम्हारा पुत्र एक विशाल यज्ञ का आयोजन करेगा जिससे तुम्हारे सारे पाप धुल जायेगे चंद्र देव के निर्देशों का पालन कर हेमवती पुत्र को जन्म देने के लिए अपना घर छोड़ दिए और एक छोटे से गांव में पुत्र को जन्म दिया तो यह थी कहानी खजुराहो मंदिर की ऐसी तमाम जानकारी के लिए आप हमारे चैनल को लाइक करें सब्सक्राइब करें और हां कमेंट करना तो बिल्कुल भी ना भूले हमारे साथ रुद्राक्ष24 से श्याम जी मिश्र रिपोर्ट।

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