लखनऊ के गिरजाघरों में क्रिसमस डे की तैयारियां शुरू
लखनऊ में प्रभु यीशु के गुणगान का पर्व क्रिसमस जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे गिरजाघरों में तैयारियों में तेजी आ रही है। गिरिजा घरों में प्रभु यीशु के गीतों के साथ ही मोमबत्ती जलाने का क्रम पिछले कई दिनों से शुरू हुआ और अभी तक जारी है। हजरतगंज स्थित कैथेड्रल के फादर डा.डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि क्रिसमस पर विविध आयोजन होंगे। इसकी तैयारियां पूरी हो गई हैं। एबीसी के प्रवक्ता डा.मारिस कुमार ने बताया कि लालबाग स्थित चर्च में विशेष प्रार्थना सभाओं के साथ ही अलीगंज व आलमबाग बस स्टेशन के सामने स्थित गिरिजा घर में विशेष प्रार्थना सभाओं का दौर 20 दिसंबर से चलेगा। कैथेड्रल हजरतगंज: इसाई समुदाय के कैथोलिक (प्रभु यीशु की प्रतिमा की पूजा करते हैं) की ओर से 75 साल पहले चर्च की स्थापना की गई थी। फादर डोमिनिक पिंटो ने का दावा है कि विशालता के चलते यह राजधानी का सबसे बड़ा चर्च है। इसके बाहर लगी प्रभु यीशु की प्रतिमा राजधानी ही नहीं प्रदेश में भी नजर नहीं आती।
सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च लालबाग: लालबाग स्थित सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च राजधानी का सबसे पुराना चर्च है। चर्च के पादरी फादर हर्बट एबुल ने बताया कि 1865 में चर्च की स्थापना ज्वेल जेवीयर ने की थी। मेथोडिस्ट प्रतिमा की पूजा नहीं करते। ऐसे में यहां प्रभु यीशु का प्रतीक क्रास की स्थापना की गई है। समुदाय के लोग मोमबत्ती जलाने के साथ ही प्रार्थना करते हैं। क्राइस्ट चर्च जीपीओ: क्राइस्ट चर्च इंटर कालेज के परिसर में 1860 में स्थापित चर्च पुराने चर्चों में से एक है। मान्यता है कि यहां प्रार्थना करने से सभी मुरादे पूरी हो जाती है। क्राइस्ट चर्च इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डा.राकेश चत्री ने बताया कि क्रिसमस के उपलक्ष्य में बच्चों के कार्यक्रम होंगेगा। युवाओं की ओर से गीत संगीत के बीच प्रभु यीशु का गुणगान होगा। सेंट पीटर्स चर्च, रेलवे इंडोर अस्पताल: सेंट पीटर्स चर्च उत्तर भारत का सबसे प्राचीनतम गिरजाघरों में से एक है। यहां के प्रवक्ता वीरेंद्र सिंह ने बताया कि अपनी बनावट के चलते यह चर्च अन्य के मुकाबले अलग है। क्रिसमस पर विशेष प्रार्थनासभाओं के साथ ही उत्सव का दौर शुरू हो गया है। 20 दिसंबर को सजावट होगी और 21 को डिनर के साथ ही कैरल गीत गाए जाएंगे। 24 को मिड डे नाइट सर्विस के साथ ही 25 को क्रिसमस उत्सव के साथ केक काटा जाएगा।
होली रिडीमर चर्च आलमबाग: आलमबाग कोतवाली के सामने होली रिडीमर चर्च की स्थापना 1933 में हुई थी। अपनी तरह के इस चर्च में प्रार्थना हाल के साथ ही साधकों के बैठने की भी व्यवस्था है। संजय लांजरस ने बताया कि चर्च में प्रतीकात्मक रूप से प्रभु यीशु की प्रतिमा स्थापित है। 19 को चर्च को सजाने के साथ ही क्रिसमस तक लगाकर विविध आयोजन होगे। क्रिसमस पर पूरे चर्च को बिजली की झालरों से सजाया जाएगा। इसलिए मनाते हैं क्रिसमस: कैथेड्रल के फादर डोनाल्ड डिसूजा ने बताया कि मानव धर्म का पाठ पढ़ाने वाले प्रभु यीशु के जन्म के दिन को क्रिसमस के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस के एक दिन पहले मध्यरात्रि के एक घंटे पूर्व प्रभु यीशु का जन्म चरही में हुआ था। कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में प्रभु के जन्म के दौरान जमीन में उल्लास के साथ आसमान में सितारे भी काफी खुश हुए थे। मानवता का संदेश देने वाले प्रभु यीशु के जन्म के उल्लास का सिलसिला क्रिसमस से शुरू होता है और छह जनवरी तक चलता है। राजधानी के 13 कैथोलिक चर्च में 24 की रात्रि और सुबह जन्मोत्सव मनाया जाता है तो दूसरी ओर अन्य चर्चों में 25 की सुबह आयोजन होते हैं। आपसी भाईचारे का संदेश एक दूसरे को देना पर्व का मुख्य उद्देश्य है। इस बार सीमित संख्या में आयोजन होंगे।