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विकास की बातें: बिहार पर्यटन में अपार संभावनाएं...

रिपोर्ट, राहुल चंद्रा: बिहार, एक ऐसा राज्य जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है, आज पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाओं से भरा हुआ है। यह राज्य न केवल प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है, बल्कि अपने धार्मिक और प्राकृतिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। वैशाली, नालंदा, बोधगया, राजगीर, पावापुरी, दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी जैसे स्थान भारत की समृद्ध विरासत के प्रतीक हैं। बावजूद इसके, बिहार पर्यटन में अभी भी उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाया है, जिसका वह हकदार है।

बिहार में पर्यटन स्थलों की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही उत्कृष्ट हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायी हर साल बोधगया आते हैं, जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय, जो प्राचीन भारत के शिक्षा के केंद्र रहे, आज भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मिथिला क्षेत्र अपनी सांस्कृतिक विविधता और मधुबनी पेंटिंग के लिए विख्यात है।

हालांकि, इन स्थलों की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता के बावजूद, इनका समुचित प्रचार-प्रसार और बुनियादी सुविधाओं की कमी पर्यटन क्षेत्र को बाधित कर रही है। बिहार सरकार और पर्यटन विभाग को इन संभावनाओं को साकार करने के लिए कुछ अहम कदम उठाने की आवश्यकता है।

पर्यटकों के लिए बेहतर सड़कों, हवाईअड्डों और रेलवे स्टेशनों का निर्माण प्राथमिकता होनी चाहिए। राजगीर और गया जैसे प्रमुख स्थलों तक पहुंचने के लिए परिवहन सुविधाएं सुगम और सुविधाजनक होनी चाहिए। होटल, गेस्ट हाउस और अन्य आवास सुविधाओं में भी सुधार आवश्यक है। आज के डिजिटल युग में बिहार के पर्यटन स्थलों का प्रचार सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होना चाहिए। इंटरनेशनल टूरिज्म फेयर और आयोजनों में भाग लेकर बिहार के पर्यटन स्थलों को वैश्विक पहचान दिलाई जानी चाहिए है।

मधुबनी पेंटिंग, भागलपुरी सिल्क, और अन्य स्थानीय हस्तशिल्प को पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए राज्य को नई योजनाएं लानी चाहिए। इन उत्पादों को वैश्विक बाजार में पेश करने के लिए ब्रांडिंग और मार्केटिंग की आवश्यकता है। बोधगया, पावापुरी, दरभंगा, माँ जानकी जन्मभूमि सीतामढ़ी और वैशाली जैसे धार्मिक स्थलों का विकास और संरक्षण किया जाए। धार्मिक स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।

इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बिहार के प्राकृतिक स्थलों का विकास किया जा सकता है। जैसे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को पर्यावरण अनुकूल पर्यटन के लिए विकसित करना। पर्यटन क्षेत्र के विकास से न केवल बिहार की छवि सुधरेगी, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। पर्यटन रोजगार के नए अवसर पैदा कर सकता है, जिससे स्थानीय समुदायों को सीधा लाभ होगा। साथ ही, राज्य को राजस्व में वृद्धि देखने को मिलेगी। बिहार सरकार और पर्यटन विभाग को पर्यटन के प्रचार और विकास के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनानी होंगी। एक मजबूत रोडमैप तैयार करना, जिसमें वित्तीय निवेश, स्थानीय समुदायों की भागीदारी, और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी को प्राथमिकता दी जाना चाहिए।

बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत केवल धरोहर नहीं, बल्कि राज्य की प्रगति का आधार भी बन सकती है। बिहार सरकार और पर्यटन विभाग को ध्यान देना चाहिए ।

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