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संत शिरोमणि श्री सियाराम बाबा का देव लोक गमन

धरगांव , सनातन धर्म ऐसे सिद्ध संतों के तप और साधना बल पर टीका हुआ है.
इतिहास गवाह है जब–जब पाप और पाखंड ने सनातन की जड़ों को खोखला करने का काम किया है, तब–तब मां नर्मदा ने अपनी कोख से किसी सिद्ध संतों को जन्म देकर इस महामृत्युंजय सनातन को संरक्षित किया है.
आदिगुरु शंकराचार्य से लेकर संत सिंगाजी महाराज, दादा धूनीवाले,बाबा भिलट देव से लेकर संत सियाराम बाबा तक माई रेवा का तट अनादिकाल से ही आध्यात्मिक रूप में समृद्धशाली रहा है और अनंतकाल तक रहेगा.
निमाड़ की शान संत शिरोमणि मां नर्मदा के वृहदपुत्र , हनुमान जी के परम भक्त , करीब 116 वर्ष की आयु में संत श्री सियाराम बाबा का प्रभु मिलन हो गया । बाबा हमेशा अपनी भक्ति में लीन रहते थे रामायण पढ़ते हुए , लाखों रूपये दान में आते परंतु वो सिर्फ 10 रुपए लेकर बाकी लौटा देते बाबा के कई चमत्कार लोगों ने प्रत्यक्ष देखे । परंतु विधि के विधान को कोई बदल नहीं सकता , शायद ऐसे महान संतो की प्रभु को भी जरूरत आन पड़ी होगी ।।
ब्रह्म मुहूर्त में आज स्वयं मोक्ष दायिनी एकादशी संत सीताराम बाबा को लेने आई, आज यमराज नहीं खुद नारायण धरती पर आए होंगे. देवताओं ने रेवा के तट पर मंगल गीत गाये होंगे.
आज आनंद और उत्सव का दिन है, एक सिद्ध संत की परम तत्व में विलीन होने की परिक्रमा पूर्ण हुई.
संत श्री का अंतिम संस्कार शाम 4 बजे मां नर्मदा तट पर तेली भट्टियांन में होगा ।।

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