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भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर तहसीलदार पत्रकार पर बना रहे दबाव, द्वेषभाव से करवा रहे कार्यवाही। पत्रकारो एवं समाज सेवियों ने मिलकर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन।

पृथ्वीपुर।। निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर में भ्रष्टाचार के खिलाफ सोषल मीडिया पर पोस्ट डालना पत्रकार को महंगा पड गया। मामले में तहसीलदार ने पत्रकार को फोन लगाकर नोटिस देने की बात कहीं। और उससे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबूत मांगने से संबंधत नोटिस जारी कर दिया। पीडित पत्रकार ने अपने साथियों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर गुहार लगाते हुये ज्ञापन सौंपते हुये कार्यवाही की मांग की है।
बता दें कि दिनांक 02 दिसंबर 2024 को पृथ्वीपुर के फुब्बारे तिराह पर खादय की समस्या को लेकर ग्रामीण जन प्रदर्षन कर रहे थे पूर्व में भी खादय ना मिलने से परेषान किसानों ने जिले एवं पृथ्वीपुर में चक्काजाम किया था। इस समस्या को लेकर पत्रकार प्रदीप खटीक के द्वारा समाचार के माध्यम किसानों का मुददा उठाया गया था। इसी क्रम में खादय में भ्रष्टाचार की जानकारी मिलने पर निवाडी कलेक्टर लोकेष कुमार जांगिड ने पृथ्वीपुर तहसील का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान खादय की काला बाजारी करने पर कुछ लोगो पर जांच उपरांत कानून तौर पर मामला भी पंजीबद्ध किया गया था। जिसका समाचार भी पत्रकार ने लगाया था। भूखे प्यासे परेषान किसानों के द्वारा बार-बार खादय की समस्या को लेकर आवाज उठाने व चक्काजाम करने के बाद भी अधिकारियों द्वारा उनकी समस्या ना सुनने पर किसानों की परेषानियों को देखते हुये आहत होकर पत्रकार प्रदीप खटीक ने पृथ्वीपुर तहसील के खिलाफ भ्रष्टाचार में लिप्त पृथ्वीपुर तहसील की पोस्ट सोषल मीडिया फेसबुक पर डाल दी। पत्रकार द्वारा सोषल मीडिया पर पोस्ट डालने से नाराज तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता ने व्यक्तिगत लेते हुये पत्रकार को वकील के माध्यम से नोटिस थमा दिया।
पूरे मामले को लेकर राष्ट्रीय पत्रकार कल्याण परिषद जिला निवाडी की टीम एवं अन्य सामाजिक लोगो ने पत्रकारों के साथ निवाडी पहुंचकर कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड को ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया और बताया कि पृथ्वीपुर तहसील सहित अन्य विभागो में आये दिन अपने कार्यो को कराने के लिये किसान चक्कर लगाते है और काम न होने पर घर वापस चले जाते हैं। ग्रामीणों के नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा, रिकार्ड सुधार आदि कार्य सालों से पृथ्वीपुर तहसील में लंबित है। उक्त मामलों में ग्रामीणों का आरोप है कि बिना किसी सुविधा शुल्क के कोई कार्य नही होता है। इस तरह के भ्रष्टाचार को पत्रकारो के द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से उजागर किया जाता है। पत्रकार होने के नाते जनहित की समस्याओं को उजागर करना पत्रकार का कर्तव्य है। तहसीलदार द्वारा पत्रकार की पत्रकारिता पर इस तरह से सवाल उठाने से कहीं ना कहीं पत्रकार की छवि धूमिल हो रही है। तहसीलदार द्वारा पत्रकार को लगातार मानसिक तौर पर प्रताडित किया जा रहा है। जबकि पत्रकारों के द्वारा शासन प्रशासन की जन हितेषी योजनओं की खबरे पेपर के माध्यम से प्रकाषित की जाती है। इन्ही मुददो को लेकर पत्रकार ने सोषल मीडिया पर पोस्ट की थी तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता पत्रकार को व्यक्तिगत रूप से डराने धमकाने का कार्य रहे है। पत्रकार निडर और निर्भीक निष्पक्ष पत्रकारिता करते है। परंतु पत्रकारों को उनके कार्य से वंचित कराते हुये तहसीलदार पत्रकार के खिलाफ षडयंत्र रच कर फंसाने का कार्य कर रहे है।
बताया कि दूसरे दिन इसी पोस्ट को व्यक्तिगत लेते हुये बदले की भावना से एवं अचानक पत्रकार कार्यालय/दुकान पर तहसीलदार अनिल कुमार गुप्ता, एडवोकेट करूणेष साहू, उपपंजीयक विषाल गोस्वामी बिना किसी सूचना के आ गये। और पत्रकार से रजिस्ट्री लायसेंस के बारे में पूछने लगे उन्होने कहा कि मेरी पत्नि के नाम लायसेंस है जो अभी घर पर घरेलू कार्य के साथ दोनो छोटे-छोटे बच्चों की देखरेख कर रही है। उस दौरान पीडित पत्रकार सामान्य तौर पर किसानों के कार्य कर रहे थे। एवं इसी दुकान से वह दिन भर की एकत्रित की हुई खबरों को अपने निजी कम्प्युटर से बनाकर सागर/भोपाल विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में भेजते है। परंतु इस मौके का फायदा उठाते हुये बीच में ही एडवोकेट करूणेष साहू के द्वारा अवैधानिक तौर पर पत्रकार की फोटो खीचकर सोषल मीडिया पर वायरल कर दी। और लिखा कि पत्नि के अवैध लायसेंस पर पत्रकार प्रदीप खटीक कार्य कर रहे थे। जबकि निरीक्षण के दौरान वह सिर्फ सामान्य काम ही कर रहे थे। निराधार और झूठा आरोप लगाते हुये तहसीलदार और एडवोकेट के द्वारा पत्रकार को फंसाने की साजिष की जा रही थी। जब वह इसमें सफल नही हुये तो एडवोकेट करूणेष साहू के द्वारा पुनः नोटिस जारी करा दिया गया। जिस कारण पत्रकार प्रदीप खटीक को मानसिक क्षति होने साथ ही भारी आघात पहुंचा है। तहसीलदार और एडवोकेट के इस तरह से बिना सूचना के किसी की दुकान पर आ जाना कहीं ना कहीं उनकी अवैधानिक कार्य प्रणाली पर सवालिया निषान खडे करता है। जिस कारण हम सब पत्रकारों की छवि धूमिल होने के साथ ही बदनामी हो रही है। एडवोकेट करूणेष साहू एवं तहसीलदार के द्वारा पत्रकार साथी प्रदीप खटीक और परिजनों को मानसिक तौर पर प्रताडित किया जा रहा है। क्योंकि वह अनुसूचित जाति वर्ग से है। जिस कारण द्ववेष भावना के चलते उन पर दबाव डाला जा रहा है।
इस मामले में कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड का कहना है कि मैं तहसीलदार से बात करूंगा, जो भी कार्यवाही होगी की जायेगी।

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