
मुस्लिमों के मतदान अधिकार पर विवादित बयान: मौलाना जावेद हैदर जैदी ने महंत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई
लखनऊ: देश में वक्फ बोर्ड और उससे जुड़े मुद्दों पर जारी बहस के बीच, विश्व वोक्कालिगा महासमस्तन मठ के महंत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी के विवादित बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने मुस्लिम समुदाय को वोट देने के अधिकार से वंचित करने और वक्फ बोर्ड को समाप्त करने की बात कही, जिस पर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
"महंत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी का बयान"
बेंगलुरु में एक सभा को संबोधित करते हुए महंत ने कहा, "देश में ऐसा कानून लागू होना चाहिए, जिसमें मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को वोट देने का अधिकार न हो। वक्फ बोर्ड को खत्म करना आवश्यक है क्योंकि यह किसानों की जमीनों पर दावा करता है, जो किसी भी धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता।"
महंत ने आगे कहा, "पाकिस्तान में दूसरे धर्मों के लोगों के वोटिंग अधिकार सीमित हैं। भारत को भी इसी तरह के कदम उठाने चाहिए, जिससे मुस्लिम समुदाय को नियंत्रित किया जा सके और देश में शांति बनी रहे।"
" मौलाना जावेद हैदर जैदी का पलटवार"
महंत के इस बयान को लखनऊ के शिया धर्मगुरु मौलाना जावेद हैदर जैदी ने भड़काऊ और असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा, "महंत का यह बयान न केवल भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला है, बल्कि समाज को बांटने की साजिश है। हमारा संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देता है, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या वर्ग से हो। इस तरह के बयान देश की एकता और अखंडता को चोट पहुंचाते हैं।"
मौलाना जावेद हैदर जैदी ने महंत पर आरोप लगाया कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए अपने एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड के मुद्दे को सुलझाने के लिए संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
" वक्फ संशोधन बिल पर बढ़ती गर्मी"
वक्फ बोर्ड से जुड़े विवादों के बीच, संसद के शीतकालीन सत्र में वक्फ संशोधन बिल प्रमुख चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक बुधवार को होनी है। बिल के मसौदे को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों में गहरे मतभेद हैं। विपक्ष ने समिति के कार्यकाल को बढ़ाने और सभी हितधारकों की बात सुनने की मांग की है।
"राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं"
महंत के बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इसे देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान पर सीधा हमला बताया है। कांग्रेस और अन्य दलों ने महंत के बयान की निंदा करते हुए इसे समाज को बांटने वाला करार दिया। संवैधानिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे बयान सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकते हैं और धार्मिक सद्भाव के लिए खतरा बन सकते हैं।
"निष्कर्ष"
महंत कुमार चंद्रशेखरनाथ स्वामी का विवादित बयान और मौलाना जावेद हैदर जैदी की तीखी प्रतिक्रिया यह दिखाती है कि वक्फ बोर्ड और मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दे संवेदनशील बनते जा रहे हैं। इन मुद्दों पर सुलझे हुए और जिम्मेदार तरीके से चर्चा करने की आवश्यकता है ताकि देश में सामाजिक सौहार्द और शांति बनी रहे।